(www.hapurhulchul.com) केंद्र सरकार ने जीपीएस आधारित टोल प्रणाली को मंजूरी दे दी है | इससे टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा | सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को नेशनल हाईवे फीस नियम, 2008 को संशोधित किया है | इसमें सैटेलाइट-आधारित सिस्टम के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह को शामिल किया गया है | इस नए सिस्टम से अब गाड़ियों से जीपीएस के जरिए टोल वसूला जाएगा | यह फास्टैग की तरह ही होगा | इस नए नियम के मुताबिक, अब GPS और ओनबोर्ड यूनिट के जरिए टोल वसूला जा सकेगा | यह फास्टैग और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन तकनीक के अलावा होगा | 2008 के नियमों के नियम 6 को बदल दिया गया है ताकि जीएनएसएस वाले वाहनों के लिए टोल प्लाजा पर विशेष लेन बनाई जा सके। इससे उन्हें मैन्युअल टोल भुगतान के लिए रुकने की जरूरत नहीं होगी |
https://hapurhulchul.com/?p=19061
अभी टोल प्लाजा पर टोल का पेमेंट (Now toll payment at toll plaza)
मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत में पंजीकृत नहीं होने वाले या बिना काम करने वाले जीएनएसएस वाले वाहनों से स्टैंडर्ड टोल दरें वसूली जाती रहेंगी | इसके अलावा, जीएनएसएस प्रणाली का इस्तेमाल करने वाले वाहनों के लिए 20 किमी तक का शून्य-टोल कॉरिडोर पेश किया जाएगा | अभी टोल प्लाजा पर टोल का पेमेंट कैश या फास्टैग के जरिए होता है | इससे अक्सर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती ह | जीपीएस-आधारित टोल प्रणाली सैटेलाइट और कार में लगे ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करती है | यह सिस्टम किसी वाहन की तय की गई दूरी के अनुसार टोल वसूलने के लिए सैटेलाइट -आधारित ट्रैकिंग और जीपीएस तकनीक का उपयोग करती है | ओन-बोर्ड यूनिट या ट्रैकिंग उपकरणों से लैस वाहनों से राजमार्गों पर तय की गई दूरी के आधार पर शुल्क लिया जाएगा |
इस सिस्टम को लागू करने के लिए गाड़ियों में (To implement this system in trains)
फास्टैग के उलट सैटेलाइट-आधारित टोल प्रणाली जीएनएसएस तकनीक पर निर्भर करती है | यह सटीक लोकेशन बताती है | अधिक सटीक दूरी-आधारित टोलिंग के लिए जीपीएस और भारत की जीपीएस एडेड GEO ऑग्मेंटेड नेविगेशन (GAGAN) प्रणाली का उपयोग करती है | इस सिस्टम को लागू करने के लिए गाड़ियों में OBUs लगाए जाएंगे | ये OBU ट्रैकिंग डिवाइस की तरह काम करेंगे और गाड़ी की लोकेशन की जानकारी सैटेलाइट को भेजते रहेंगे | सैटेलाइट इस जानकारी का इस्तेमाल करके गाड़ी की तय की गई दूरी को कैलकुलेट करेंगे | इसके अलावा, हाईवे पर लगे कैमरे गाड़ी की लोकेशन की पुष्टि करेंगे | शुरुआत में यह सिस्टम कुछ चुनिंदा हाईवे और एक्सप्रेसवे पर लागू किया जाएगा |
Situs nonton bola gratis Jalalive