वास्तु क्या हे और कैसे काम करता हे क्या क्या सावधानी करनी हैं
What is Vastu and how it works, what are the precautions to be taken
वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के आसपास के परिसर को स्वस्थ, सुखमय, और सफल बनाना होता है। यह विज्ञान विभिन्न शास्त्रों, मानसिकता, और भौतिकता के साथ जुड़कर विचार करता है कि घर, कार्यालय, या किसी अन्य स्थान की आयाम, दिशाएँ, और व्यवस्था कैसी होनी चाहिए ताकि उसके निवासी या उपयोगकर्ता की जीवनशैली, स्वास्थ्य, और सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर गुणकारी प्रभाव पड़े।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह माना जाता है कि विभिन्न प्राकृतिक तत्व और ऊर्जाएँ वातावरण में एक सामंजस्य विचारित आयाम, दिशा, और व्यवस्था की आवश्यकता के अनुसार प्रवृत्त होती हैं। यहाँ कुछ मुख्य तत्व हैं जिन पर वास्तु शास्त्र काम करता है:
आयाम (डायमेंशन): आयाम वास्तु का मुख्य तत्व है, जिससे घर या किसी भी स्थान की विभिन्न दिशाएँ, कक्ष, और क्षेत्रों को निर्धारित किया जाता है।
दिशाएँ (डायरेक्शन): वास्तु के अनुसार, प्रत्येक दिशा में विशेष ऊर्जाएँ होती हैं और विभिन्न गुणों को प्राप्त करने में मदद करती हैं।
पांच तत्व (पांच एलिमेंट्स): पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश – ये पांच मूल तत्व हैं जिन्हें वास्तु में उपयोग किया जाता है ताकि ऊर्जाओं की संतुलन रहे।
यांत्रिकी (फैंग शुई): यांत्रिकी वास्तु शास्त्र में उपयोगी उपायों का प्रदान करती है, जैसे कि दरवाजों, खिड़कियों, आदि की स्थान-स्थिति और दिशा।
रंग और ज्योतिष (कोलर एंड एस्ट्रोलोजी): रंगों का वास्तु में महत्व होता है, क्योंकि वे ऊर्जाओं को प्रभावित कर सकते हैं। ज्योतिष की मदद से वास्तु में विभिन्न उपायों का प्रदान किया जा सकता है।
वास्तु शास्त्र में यह माना जाता है कि सही व्यवस्था और तरीके से समायोजित घर या स्थान की वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, जिससे व्यक्ति की जीवनशैली में सुधार होती है। वास्तु के अनुसार निर्मित घर या स्थान में सकारात्मक ऊर्जा को प्रवृत्त करने के लिए विभिन्न उपायों का पालन किया जाता है।
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