हापुड़ -दुष्कर्म और धर्मांतरण मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक
हापुड़। दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल द्वारा युवती को नशीला पदार्थ पिलाकर दुष्कर्म और उसके बाद जबरन धर्मांतरण के मामले में आरोपी पक्ष की हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर स्टे स्वीकृत कर लिया है। इसके अलावा दोनों पक्षों को मध्यस्थता के लिए हाईकोर्ट में पेश होना पड़ेगा। जिसके आधार पर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
बंधक बनाकर यातनाएं दी गई
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2012 में वह दिल्ली के एक कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई कर रही थी। तभी उसकी मुलाकात उसके फ्लैट के नीचे रहने वाले हेड कांस्टेबल वसीम से हुई उसी दौरान वसीम ने अपने परिवार की मदद से उसके साथ दुष्कर्म किया था। 28 दिसंबर 2012 को मौलवी के जरिए उसका निकाह वसीम से करा दिया था। धर्मांतरण कराकर आरोपियों ने उसका नाम बदलकर इकरा रख दिया था। देवर ने भी उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया था। इतना ही नहीं उसे 11 साल तक बंधक बनाकर यातनाएं दी गई और श्रद्धा हत्याकांड की तरह उसके शरीर के भी 36 टुकड़े करने की धमकी दी थी। मामले में पीड़िता ने वसीम, जमीला, कय्यूम अली, इमरान, आरिफ, अजहरुद्दीन और शाहिद के रिपोर्ट दर्ज हुई थी।
कोतवाली प्रभारी निरीक्षक संजय पांडेय ने बताया
कोतवाली प्रभारी निरीक्षक संजय पांडेय ने बताया कि आरोपी जमीला ने हाईकोर्ट में याचिका डाली थी। जिसमें उसके अधिवक्ता विनीत विक्रम व इमरान उल्लाह पूरी घटना का मुख्य कारण केवल पारिवारिक कलह बताया। महिला पर उसके परिवार द्वारा उकसाने पर ससुराल पक्ष के लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का आरोप लगाया। इसमें न्यायाधीश ने आदेश दिया कि हाईकोर्ट मध्यस्थता केंद्र दोनों पक्षों को नोटिस देने के बाद तीन महीने की अवधि के भीतर मध्यस्थता और सुलह की कार्यवाही को शीघ्रता से समाप्त करेगा। फिलहाल आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक है।
पीड़िता का कहना है
उधर मामले में पीड़िता का कहना है कि जांच में दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। उसके द्वारा दर्ज रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपी पूरी तरह से सत्य हैं। उसके खिलाफ 11 वर्ष तक जुर्म होते रहे है ।
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