

गंगा दशहरा के महत्व पर एक विस्तृत लेख नीचे प्रस्तुत है, जिसे आप समाचार रिपोर्ट, ब्लॉग पोस्ट या जनजागरूकता अभियान में उपयोग कर सकते हैं:
गंगा दशहरा हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र पर्व है, जिसे गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाता है और इसका उल्लेख पुराणों में भी किया गया है।
मान्यता है कि भागीरथ ने वर्षों तक कठोर तपस्या करके गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने का वरदान प्राप्त किया था। उनके पूर्वजों को मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से गंगा का अवतरण हुआ था। इसी कारण इस दिन को ‘गंगा दशहरा’ कहा जाता है – गंगा का धरती पर ‘दशमी’ तिथि को अवतरण।
इस दिन गंगा स्नान करने से दस प्रकार के पाप नष्ट होते हैं, इसलिए इसे ‘दशहरा’ कहा गया है (दश + हरा = दस पापों का हरण)।
श्रद्धालु इस दिन गंगा में डुबकी लगाकर आत्मशुद्धि, पितरों की शांति और मोक्ष की कामना करते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के दोष भी मिट जाते हैं।
गंगा घाटों पर विशाल पूजन, आरती, और भजन-कीर्तन आयोजित किए जाते हैं।
दीपदान और गंगा जल से अभिषेक करना भी पुण्यकारी माना जाता है।
श्रद्धालु अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान और तर्पण भी करते हैं।
15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने व्यापक तैयारियाँ की हैं।
22 घाटों पर 2000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
DIG कलानिधि नैथानी स्वयं सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं।
मेडिकल टीम, वॉच टावर, CCTV कैमरे, पानी-बिजली, LOST & FOUND सेंटर जैसी व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की गई हैं।
गंगा दशहरा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह नदी संरक्षण, जल शुद्धता, और भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने का भी प्रतीक है। यह दिन हमें गंगा जैसी पवित्र नदियों की महत्ता को समझने और उनके संरक्षण का संकल्प लेने की प्रेरणा देता है।
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