मोनाड विश्वविद्यालय फर्जीवाड़ा: इंजीनियर और वकील बनाने वाला ‘चांसलर’ निकला दसवीं पास

मोनाड विश्वविद्यालय फर्जीवाड़ा: इंजीनियर और वकील बनाने वाला ‘चांसलर’ निकला दसवीं पास
हापुड़, पिलखुवा। जनपद हापुड़ के अनवरपुर स्थित मोनाड विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्रियों और मार्कशीटों के गोरखधंधे का बड़ा खुलासा हुआ है। एसटीएफ द्वारा की गई छापेमारी में विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन और चांसलर विजेंद्र सिंह हुड्डा उर्फ चौधरी बिजेंद्र सिंह समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। जांच में सामने आया कि विजेंद्र सिंह केवल 10वीं पास है, लेकिन वह डॉक्टर, इंजीनियर और वकीलों की फर्जी डिग्रियां धड़ल्ले से बांट रहा था।
केवल 10वीं पास, लेकिन “चांसलर”
एसटीएफ की पड़ताल में यह तथ्य सामने आया कि विजेंद्र सिंह ने 1993 में सनातन धर्म इंटर कॉलेज, कंकरखेड़ा (मेरठ) से मात्र 10वीं कक्षा पास की है। इसके बावजूद उसने विश्वविद्यालय के चांसलर की भूमिका निभाई और हजारों छात्रों को फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट बांटी। यह शिक्षा जगत के लिए शर्मनाक और चिंताजनक स्थिति है।
बाइक घोटाले से भी है कनेक्शन
बिजेंद्र सिंह हुड्डा का नाम पांच हज़ार दो सौ करोड़ रुपये के चर्चित बाइक बोट घोटाले में भी सामने आ चुका है। मामले की जांच ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा की जा रही है और उसकी संपत्तियों को अटैच करने की कार्रवाई चल रही है। यह मामला वर्तमान में गाज़ियाबाद कोर्ट में विचाराधीन है।
जेल से बचने को भागा था विदेश
बाइक बोट घोटाले में नाम सामने आने के बाद विजेंद्र सिंह विदेश भाग गया था। बाद में अदालत से जमानत मिलने के बाद ही वह भारत लौटा। मोनाड विवि में चल रहे फर्जीवाड़े को लेकर उस पर पहले से संदेह था, जिसे अब एसटीएफ ने स्पष्ट रूप से उजागर कर दिया है।
चौंकाने वाली सच्चाई पर उठे सवाल
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय में फर्जीवाड़ा एक संगठित गिरोह के रूप में चलाया जा रहा था। इंजीनियरिंग, कानून, मैनेजमेंट जैसे कोर्सों की फर्जी डिग्रियां तैयार कर मोटी रकम वसूली जा रही थी। यह मामला सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और समाज के भविष्य से जुड़ा है।
कार्रवाई जारी
अब तक 11 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। एसटीएफ विजेंद्र सिंह हुड्डा की पुरानी कुंडली खंगाल रही है, जिसमें कई और फर्जी संस्थानों और संदिग्ध लेन-देन की जांच की जा रही है। आरोपियों को जेल में बंद कर दिया गया है और जमानत के प्रयास विफल हो रहे हैं।
निष्कर्ष:
एक ऐसा व्यक्ति, जो खुद 10वीं पास है, वह देश के युवाओं को फर्जी शिक्षा देकर भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा था। यह केवल एक विश्वविद्यालय का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। अब जरूरी है कि ऐसी संस्थाओं पर कड़ी निगरानी और कानूनी शिकंजा कसा जाए।
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