अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती: महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समर्पित था उनका जीवन

अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती: महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समर्पित था उनका जीवन
हापुड़। पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती के अवसर पर गुरुवार को हापुड़ में एक प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद श्रीमती नीलम सोनकर थीं, जिन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अहिल्याबाई होल्कर के आदर्शों और उनके जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग साझा किए।
स्त्री शक्ति की प्रतीक थीं अहिल्याबाई
नीलम सोनकर ने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर का जन्म महाराष्ट्र के चौड़ी गांव में एक मराठा हिंदू परिवार में हुआ था। केवल 10-12 वर्ष की आयु में विवाह और 21 वर्ष की उम्र में विधवा होने के बावजूद उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में हार नहीं मानी। उन्होंने अपने प्रशासनिक कौशल, न्यायप्रियता और सेवा भावना से भारत में एक आदर्श महिला शासक के रूप में पहचान बनाई।
समाज सुधार की मिसाल
अहिल्याबाई ने धार्मिक स्थलों का निर्माण, घाट, बावड़ियों, कुओं का निर्माण, और धर्मशालाओं की स्थापना कराकर सेवा कार्यों की लंबी श्रृंखला चलाई। उन्होंने महिलाओं के शिक्षा के अधिकार और सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वासों के खिलाफ आवाज उठाई और सत्य, न्याय और करुणा को अपने शासन का आधार बनाया।
आज भी हैं प्रेरणा स्रोत
नीलम सोनकर ने कहा कि अहिल्याबाई का जीवन आज की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। वह अंधकार में प्रकाश की किरण के समान थीं। आज भी इंदौर में कृष्ण चतुर्दशी के दिन “अहिल्या उत्सव” मनाया जाता है, जो उनके प्रति आमजन की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है।
कार्यक्रम का संचालन और अध्यक्षता
कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष नरेश तोमर ने की और संचालन जिला महामंत्री राजीव सिरोही द्वारा किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कार्यकर्ता, महिलाएं और समाजसेवी उपस्थित रहे।