

दिल्ली उच्च न्यायालय का यह आदेश महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में वर्गीकृत होने को लेकर एक अहम मुद्दा उठाता है। न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) से यह निर्णय लेने के लिए कहा है कि क्या इस ट्रस्ट को सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में मान्यता दी जाए, जैसा कि आरटीआई अधिनियम की धारा 2(एच) के तहत होता है।
यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राम जन्मभूमि मंदिर से जुड़ी यह संस्था सार्वजनिक रूप से चर्चित है और इससे जुड़े किसी भी सूचना को सार्वजनिक करना, कई लोगों के लिए रुचि का विषय हो सकता है। उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के बाद सीआईसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि ट्रस्ट सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आता है या नहीं, और इसके परिणामस्वरूप भविष्य में आरटीआई के तहत उठाए गए सवालों के जवाब मिलने की प्रक्रिया में बदलाव हो सकता है।
क्या आपको इस मामले पर कोई खास जानकारी चाहिए या और कोई सवाल है जो आप इस मामले से जुड़ा पूछना चाहते हैं?