MahaKumbh news- आस्था का महासागर पुण्य की डुबकी लगाकर आह्लादित हुए श्रद्धालु; विदेशी भक्त भी अभिभूत
MahaKumbh news- Devotees were happy after taking a dip in the ocean of faith and virtue; Foreign devotees were also overwhelmed
महाकुंभ, एक ऐसा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है जो हर बार दुनिया भर से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। पौष पूर्णिमा पर 1.75 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाई, जिससे गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में पुण्य की धाराएं बहने लगीं।
आस्था का महासागर:
विदेशी भक्त भी महाकुंभ के पुण्य की डुबकी में खुद को अभिभूत महसूस कर रहे हैं। अमेरिका, रूस, जर्मनी, इटली, इक्वाडोर समेत दुनियाभर से आए श्रद्धालु भारतीय सनातन संस्कृति और आस्था से गहराई से जुड़ते नजर आ रहे हैं।
गोस्वामी तुलसीदास जी की चौपाई के अनुसार, जैसे नदियां समुद्र में मिलने को आतुर रहती हैं, वैसे ही आस्था, भक्ति, विश्वास का जन-ज्वार संगम की ओर उमड़ पड़ा है।
सोमवार को पौ फटने से पहले संगम जाने वाली सड़कों पर भक्ति की लहरें नजर आईं और रास्तों पर लयबद्ध भीड़ का रेला चलने लगा।
कंपकंपाती ठंड के बावजूद श्रद्धालु संगम तक कई-कई किमी पैदल यात्रा करके पहुंचे। गंगा मैया के दर्शन कर उनकी थकान काफूर हो गई।
जय श्रीराम, हर-हर महादेव, हर-हर गंगे, जय बजरंग बली के जयघोष से संगम समेत सभी घाट दिनभर गुंजायमान होते रहे।
कल्पवास का महत्व:
पौष पूर्णिमा के पहले स्नान के साथ ही कल्पवास भी शुरू हो गया है।
पद्म पुराण और महाभारत के अनुसार, संगम के तट पर माघ मास में कल्पवास करने से सौ वर्षों तक तपस्या करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने केला, तुलसी और जौ रोपकर45 दिन तक महाव्रत और संयम का संकल्प लिया है।
महाकुंभ, आस्था, श्रद्धा और विश्वास का अद्भुत मेल है, जो हर बार धार्मिक और सांस्कृतिकता का महासागर बनकर श्रद्धालुओं को एक नई ऊर्जा और भक्ति प्रदान करता है।