ऑक्सीजन की कमी से तड़पकर बेटी ने दम तोड़ा, पिता ने गम में छह माह खाना न खाया
उत्तर प्रदेश के बड़ौत में कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन नहीं मिलने से बेटी की मौत हो जाने पर सूप गांव के सोनू ने संकल्प लिया कि लोगों को हरियाली और पर्यावरण के प्रति जागरूक करूगां। ताकि भविष्य में ऑक्सीजन की कमी से किसी ओर भी मौत न हो। उन्होंने सबसे पहले अपनी स्कूटी को मिनी गार्डन में बदला। फिर बेटी की याद में पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा उठाया। लगभग तीन साल से वे लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
सूप गांव निवासी सोनू कुमार पुत्र प्रकाश चंद की दो साल की बेटी छवि को कोरोना महामारी के दौरान कोरोना हो गया था। उन्होंने उसे दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन वहां पर ऑक्सीजन की कमी के कारण छवि की हालत बिगड़ने लगी थी, सोनू ने काफी प्रयास किया, लेकिन ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं कर सका।
नतीजन ऑक्सीजन की कमी से बेटी ने दम तोड़ दिया। सोनू पर उस समय अधिक गमों का पहाड़ टूट गया, जब अस्पताल वालों ने उन्हें शव देने से इनकार कर दिया और पीपीई किट में पैक कर वहां पर अंतिम संस्कार करा दिया गया।
बेटी के गम में सोनू ने छह माह तक खाना नहीं खाया, फिर पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा उठाया कि अब लोगों को जागरूक करूंगा, ताकि भविष्य में ऑक्सीजन की कमी से किसी अन्य की मौत न हो।
सोनू अपनी स्कूटी को मिनी गार्डन के रूप में बदल चुके हैं। स्कूटी को वे खुद ही चलाते हैं। इसमें छोटे-छोटे पौधे लगाए गए हैं, ताकि प्रदूषण को कम करने में कुछ भागीदारी उनकी तरफ से भी हो जाए। उनके इस अनोखे प्रयोग से सड़कों पर चलने वाले लोग काफी प्रभावित होते हैं।
एलोवेरा, सफेद मूसली, पुदीना, फुलवारी, तुलसी आदि। सोनू के अनुसार अब तक बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर आदि जगहों पर तकरीबन 500 पौधे सड़क किनारे, खेतों में रोपे जा चुके हैं। इस दिशा में लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है।
सोनू ने बताया कि इन पौधों के रखरखाव पर वह बहुत ध्यान देते हैं। ज्यादातर वह दिन में स्कूटी चलाते हैं, ऐसे में सुबह स्कूटी ले जाने से दो घंटे पूर्व पानी दे देते हैं। हर माह जरूरत के हिसाब से गमलों में खाद भी डालते हैं। स्कूटी में ऑक्सीजन देने वाले आयुर्वेदिक पौधे लगा दिए। इन पौधों को वह अक्सर बदलते भी रहते हैं। जिन पौधों को वह बदलते हैं उन्हें नर्सरी में दे देते हैं, ताकि उनकी सही देखभाल भी हो सके।
पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सोनू दिल्ली के चांदनी चौक में मोहब्बत, नफरत ओर दोस्ती नाम से शरबत बेचने का भी काम करते हैं। मिनी गार्डन वाली स्कूटी में तीनों शरबत तैयार कर सोनू दिल्ली के अलावा लोनी, गाजियाबाद, बागपत आदि जगहों पर पूरे दिन चलकर शरबत को बेचने का भी काम करते हैं।
सोनू बताते हैं कि मोहब्बत शरबत तरबूज, रूअबजा, दूध से तैयार होता है, जबकि नफरत शरबत कच्चे आम, सेंधा नमक से, जबकि दोस्ती शरबत तैयार करने में सोनू इलायची, बादाम, पिस्ता, दूध से तैयार करते हैं। तीनों ही शरबत को लोग खूब पसंद करते हैं। जो लोग शरबत लेने आते हैं, उन्हें निशुल्क पौधा भी वितरित करता हूं और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाता हूं।