बोर्ड परीक्षा का नहीं था अनुभव 12वीं का नतीजा 9.81 फीसदी गिरा
प्रदेशभर में यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट की परीक्षा में इस बार 9.81 प्रतिशत कम परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। प्रदेश में 75.52 प्रतिशत परीक्षार्थी पास हुए हैं, जबकि पिछले वर्ष 2022 में 85.33 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए थे। छात्र, शिक्षक और बोर्ड से जुड़े अफसरों का मानना है कि वर्ष 2021 में कोरोना काल में हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा न होना इसका मुख्य कारण रहा है। मेरठ परिक्षेत्र में आने वाले 17 जिलों में पिछले साल इंटरमीडिएट में 84.98 प्रतिशत परीक्षार्थी पास हुए, जबकि इस बार यह आंकड़ा 77.06 प्रतिशत रहा।
दरअसल, वर्ष 2021 में यूपी बोर्ड में हाईस्कूल की परीक्षा कोरोना के कारण नहीं हो पाई थी। छात्रों को घरेेलू परीक्षा के आधार पर ही उत्तीर्ण कर दिया था। कोरोनाकाल में प्रदेश में 2996031 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी। तब परिणाम 99.53 प्रतिशत रहा था। इस साल वर्ष 2023 में इंटरमीडिएट में 2768180 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। इसमें 75.52 प्रतिशत छात्र-छात्राएं उत्तीर्ण हुए। यह पिछले वर्ष के मुकाबले 9.81 प्रतिशत कम रहे।
वहीं, मेरठ परिक्षेत्र पिछले वर्ष 2022 में हाईस्कूल परीक्षा में 89.73 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर रहा। इस वर्ष भी 91.11 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर रहा है, जबकि इंटरमीडिएट परीक्षा परिणाम में वर्ष 2022 में 84.98 प्रतिशत के साथ चौथा स्थान था, लेकिन इस बार कम प्रतिशत के बावजूद मेरठ परिक्षेत्र दूसरे नंबर पर रहा है। इस परिक्षेत्र में इस वर्ष 77.06 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण रहे।
कनोहर लाल इंटर कॉलेज में 12वीं कक्षा में विद्यालय टॉप करने वाले कृष्णा अग्रवाल ने बताया कोरोना काल में हाईस्कूल में परीक्षा न देने से कुछ परेशानी तो हुई है। कोरोनाकाल के कारण उस समय छात्रों ने हाईस्कूल में बोर्ड परीक्षा नहीं दी थी। कुछ छात्रों का स्कूल न जाकर सेल्फ स्टडी पर ज्यादा ध्यान देने से भी ऐसा हो सकता है।
हाईस्कूल में बोर्ड परीक्षा देने से आत्मविश्वास बढ़ता है, लेकिन कोरोना काल में बोर्ड परीक्षा नहीं हुई। इसके दो साल बाद वहीं छात्र इंटरमीडिएट में पहुंचे तो परिणाम पर असर दिखाई दिया है। छात्रों के नियमित स्कूल न आने से भी परिणाम पर असर पड़ा है।