‘अतीक-अशरफ की गाड़ी को सीधे अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया?’
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच की मांग से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तीन हफ्ते बाद सुनवाई करेगा। याचिका में पुलिस की मौजूदगी में अतीक-अशरफ की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की गई है।
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि माफिया भाइयों अतीक और अशरफ को ले जा रही गाड़ी को सीधे अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया? इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि उन्होंने इस मामले की जांच के लिए एक आयोग नियुक्त किया है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने घटना टीवी पर देखी है। दोनों को गाड़ी से सीधे अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया। उनकी परेड क्यों कराई जा रही थी।
जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने झांसी में अहमद के बेटे असद की पुलिस मुठभेड़ पर भी यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी। असद को 13 अप्रैल को यूपी पुलिस की एक विशेष टास्क फोर्स (एसटी) टीम ने एक मुठभेड़ में मार गिराया था। दो दिन बाद अतीक अहमद और अशरफ को मीडियाकर्मी बनकर आए तीन लोगों ने गोली मार दी थी।
घटना उस वक्त हुई, जब उन्हें पुलिस सुरक्षा के बीच स्वास्थ्य जांच के लिए प्रयागराज के एक मेडिकल कॉलेज ले जाया जा रहा था। शीर्ष कोर्ट के वकील अधिवक्ता विशाल तिवारी ने याचिका दायर की है। याचिका में 2017 से उत्तर प्रदेश में हुई 183 मुठभेड़ों की जांच की मांग की गई है। अब मामले में तीन हफ्ते बाद सुनवाई होगी।
पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने भी सुप्रीम कोर्ट में लेटर पिटिशन दाखिल करके अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या मामले की सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। अमिताभ ठाकुर ने याचिका में कहा था कि भले ही अतीक अहमद और उसका भाई अपराधी हों मगर जिस तरह से उनकी हत्या हुई, उससे इस घटना के राज्य पोषित होने की पर्याप्त संभावना दिखती है।