तेंदुए की दहशत से ग्रामीण जंगल आने जाने में कतरा रहे
Villagers are hesitant in going to the forest due to fear of leopard
तेंदुए की दहशत के चलते जंगल में कामकाज करने वाले किसानों समेत महिला और बच्चे भी खेतों पर जाने से कतरा रहे हैं
वन विभाग तेंदुए की धरपकड़ करना तो दूर बल्कि उसके पंजों के निशान लेकर भी उन्हें जांच को नहीं भेज पाने में भी विफल साबित हो रहा है।
गढ़ क्षेत्र के गांव झड़ीना की आबादी में घुसकर जंगली जानवर ने किसान सुभाष त्यागी के घेर में बंध रहे गोवंश पर हमला कर उसे मौत की नींद सुला दिया था।
वहीं सिंभावली क्षेत्र के गांव ढाना के बाहरी छोर पर मंगलवार की रात गढ़ में स्थित अपने दूध प्लांट से लौट रहे प्रधान पति विपिन की कार के आगे अचानक तेंदुआ आ गया था
इन दोनों ही घटनाओं से झड़ना और ढाना समेत आसपास के गांवों में दहशत फैल गई है जिसके चलते किसानों समेत जंगल में कामकाज करने वाली महिला और बच्चे भी खेतों पर जाने से कतरा रहे हैं
तीन दिन के भीतर तेंदुए और हमलावर जंगली जानवर की धरपकड़ करना तो दूर बल्कि जंगल की मिट्टी पर लगे पंजों के निशानों के नमूने लेकर उन्हें जांच को प्रयोगशाला में भिजवा पाना भी संभव नहीं हो पाया है।
भाकियू नेता श्याम सुंदर त्यागी, अतुल त्यागी, वसील खां, निरंजन त्यागी का कहना है कि जंगली जानवर के हमले में किसान के गोवंश की मौत होने से ग्रामीण बुरी तरह खौफजदा हो गए हैं।
बोले दरोगा-
वन दारोगा अनुज जोशी का कहना है कि कई घंटों की खोजबीन के बाद भी गांव ढाना के जंगल की मिट्टी पर तेंदुए के पंजों के निशान नहीं मिल पाए थे, हालांकि इसके बाद भी विभागीयय स्तर से निरंतर खोजबीन एवं निगरानी कराई जा रही है।