
उत्तराखंड में तेज़ी से पिघल रहे ग्लेशियरों के कारण गंगा नदी के जलस्तर में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है। इस वजह से ब्रजघाट क्षेत्र के खादर के निचले इलाकों और रेतीले टापुओं में लगी सैकड़ों बीघा मौसमी फल-सब्जियों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है।
खीरा, ककड़ी, लौकी, सीताफल, खरबूजा, तरबूज
टमाटर, करेला, भिंडी, तोरी समेत अन्य मौसमी फल-सब्जियाँ
जिन किसानों ने नदी के किनारे या टापुओं पर खेती की थी, उनकी फसलें गंगा में डूब गईं।
निचले जंगल क्षेत्रों में पानी भरने का सिलसिला अभी भी जारी है।
किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का अंदेशा।
सरकार या प्रशासन की ओर से फसल मुआवजे की घोषणा की जाए।
जलस्तर की निगरानी और समय रहते सूचना देने की व्यवस्था सुधारी जाए।
अगर आप चाहें तो मैं इस विषय पर एक वीडियो रिपोर्ट, किसान प्रतिक्रिया आधारित स्क्रिप्ट, या सोशल मीडिया कैम्पेन के लिए जन-जागरूकता पोस्ट भी तैयार कर सकता हूँ।