Kanpur- युवाओं में उभर रही नई किस्म की डायबिटीज टाइप-5, न मोटापा होता है, न लक्षण

Kanpur- युवाओं में उभर रही नई किस्म की डायबिटीज टाइप-5, न मोटापा होता है, न लक्षण — फिर भी बढ़ता है शुगर लेवल
कानपुर। डायबिटीज अब सिर्फ उम्रदराज लोगों की बीमारी नहीं रही। ताजा मेडिकल रिसर्च में 18 से 25 साल के युवाओं में एक नई किस्म की डायबिटीज सामने आई है, जिसे टाइप-5 डायबिटीज नाम दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस डायबिटीज में न तो मोटापा होता है और न ही आमतौर पर दिखने वाले लक्षण, फिर भी शुगर लेवल लगातार बढ़ता रहता है।
यह खुलासा एसजीपीजीआई के सीनियर एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. शिवेंद्र वर्मा ने कानपुर में आईएमए के सीजीपी रिफ्रेशर कोर्स में किया। उन्होंने बताया कि टाइप-5 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन रेसिस्टेंस अधिक पाया गया है, और इनक्रेटिन हार्मोन की कमी इसके पीछे एक बड़ी वजह मानी जा रही है। यह हार्मोन आंतों से निकलता है और ब्लड शुगर कंट्रोल में अहम भूमिका निभाता है।
25% भारतीय डायबिटीज की जद में
भारत में डायबिटीज तेजी से फैल रही है। आंकड़ों के मुताबिक, देश में 11 प्रतिशत लोग डायबिटिक हैं, जबकि 14 प्रतिशत लोग प्री-डायबिटिक श्रेणी में आते हैं। इसका मतलब है कि हर चार में से एक व्यक्ति डायबिटीज के खतरे में है।
बैंकॉक में टाइप-5 को अंतरराष्ट्रीय मान्यता की सिफारिश
7 से 10 अप्रैल तक बैंकॉक में हुई इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की कॉन्फ्रेंस में टाइप-5 डायबिटीज को मान्यता देने का प्रस्ताव भी रखा गया। इससे इस बीमारी पर रिसर्च और रोकथाम के प्रयासों को और गति मिलेगी।
डिजिटल युग की ‘सहनशक्ति’ पर भी चर्चा
इसी कार्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. निमेश जी देसाई ने बताया कि आधुनिक तकनीक जैसे मोबाइल और AI भले ही जीवन को आसान बना रही हों, लेकिन इससे लोगों की सहनशक्ति घट रही है। मोबाइल जैसे उपकरणों से डोपामीन रिलीज होता है, जिससे लत लग जाती है — और यही मानसिक तनाव और आत्मघाती प्रवृत्तियों की वजह बन सकती है।
लिवर ट्रांसप्लांट में भी आई क्रांति
कार्यक्रम में लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. आशीष मिश्रा ने बताया कि अब लिवर ट्रांसप्लांट की सफलता दर 95 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जिससे गंभीर मरीजों को बड़ी राहत मिल रही है।