

यह मामला हापुड़ में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को लेकर प्रशासन की सख्ती को दर्शाता है। तालाब की भूमि पर अवैध निर्माण करना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए भी हानिकारक है।
लेखपाल द्वारा पहले ही कई बार निर्माण रुकवाने के बावजूद, आरोपी द्वारा दोबारा निर्माण करना यह दर्शाता है कि ऐसे मामलों में कड़ी निगरानी और सख्त कार्रवाई की जरूरत है। अब देखना होगा कि पुलिस की जांच किस दिशा में जाती है और प्रशासन क्या कदम उठाता है।
क्या आप यह जानना चाहेंगे कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई हुई? साथ ही, क्या हापुड़ में ऐसे अन्य मामलों की भी जानकारी चाहिए जहां सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया हो?