

यह मामला निश्चित रूप से जांच का विषय है, क्योंकि सफाई वाहनों की मरम्मत पर करोड़ों रुपये खर्च होना संदेहास्पद लगता है। यदि मरम्मत कार्य में पारदर्शिता नहीं रही या फर्जी बिल बनाकर भुगतान किया गया है, तो यह एक बड़ा घोटाला हो सकता है।
नगर उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष विनोद गुप्ता द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जांच की मांग करना एक महत्वपूर्ण कदम है। देखना होगा कि प्रशासन या सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
क्या आप इस मुद्दे पर नगर पालिका या स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया जानना चाहेंगे? इससे पता चलेगा कि इस मामले में आगे कोई कार्रवाई होने की संभावना है या नहीं।