

प्रयागराज में महाकुंभ के अंतिम अमृत स्नान के दौरान नागा साधुओं का अद्भुत प्रदर्शन श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना। त्रिवेणी संगम में इन साधुओं ने जोश और उत्साह के साथ स्नान किया और पवित्र जल के साथ मस्ती करते हुए अठखेलियां कीं। उनके साथ डमरू, नगाड़े, त्रिशूल और तलवारों का प्रदर्शन भी था, जिससे उन्होंने अपने शस्त्र कौशल और पारंपरिक युद्ध कला को प्रदर्शित किया।
अखाड़ों के प्रमुख पदाधिकारियों के नेतृत्व में ये साधु अनुशासन के साथ शांति बनाए रखते हुए मस्ती करते और अपनी परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन कर रहे थे। शोभायात्रा में कुछ साधु घोड़ों पर सवार थे, जबकि कुछ पैदल यात्रा कर रहे थे। उनकी विशिष्ट वेशभूषा, जटाओं में फूल, फूलों की मालाएं और त्रिशूल हवा में लहराते हुए महाकुंभ की पवित्रता में योगदान दे रहे थे।
नागा साधु नगाड़ों की ताल पर नृत्य करते हुए और उत्साह से भरे हाव-भाव के साथ मीडिया और श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने रहे। इस दौरान महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या में उपस्थिति थी, जो पुरुष नागाओं के समान तप और योग में लीन थीं, और उनका भी जोश और समर्पण देखने लायक था। महाकुंभ में नागा साधुओं का प्रदर्शन सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि मनुष्य और प्रकृति के मिलन का उत्सव बनकर सामने आया।