

यह घटना वाकई में एक भयावह मंजर थी, जिसमें सिलिंडरों के फटने से पूरे इलाके में भारी तबाही मच गई। आग की लपटों और धमाकों ने पूरी कॉलोनी को दहशत में डाल दिया, और आसमान से जलते हुए सिलिंडर के टुकड़े एक किलोमीटर तक फैल गए।
20 मिनट में 50 से ज्यादा सिलिंडर फट गए, जिससे धमाकों के साथ सिलिंडर के टुकड़े हवा में उड़ते रहे।
आग का गोला बने जलते सिलिंडर एक किलोमीटर तक दूर गिर गए, जिससे और भी ज़्यादा खतरा पैदा हुआ।
चार दुकानें, एक मकान, और एक गोदाम जल गए, जबकि आठ वाहन पूरी तरह जलकर कबाड़ में बदल गए।
सीआरपीएफ की बटालियन ने मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया, साथ ही दमकल टीम के साथ मिलकर बचाव कार्य किया।
हजारों लोग, जो डर से घर छोड़कर भाग गए थे, आग बुझने के बाद वापस लौटे।
घटना के बाद कॉलोनी के अधिकांश हिस्से में खौफ फैल गया, और कई लोग कई घंटों तक घरों से बाहर रहे।
व्यावसायिक और निजी संपत्ति का बड़ा नुकसान हुआ।
सामूहिक सुरक्षा की गंभीर जरूरत के बावजूद, बचाव दल की मुस्तैदी ने स्थिति को काबू में किया।
स्थानीय लोग और कर्मचारियों ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए शरण ली और बाहर निकाले गए।
यह हादसा आग और सिलिंडरों से जुड़ी सुरक्षा कमियों को भी उजागर करता है। क्या आपको लगता है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और भी कड़े सुरक्षा मानक लागू किए जाने चाहिए?