Meerut News- लाखों खर्च कर भी कोचिंग इंस्टीट्यूट में नहीं मिली पढ़ाई की गारंटी

Meerut News- लाखों खर्च कर भी कोचिंग इंस्टीट्यूट में नहीं मिली पढ़ाई की गारंटी
Meerut News- Even after spending lakhs, there is no guarantee of education in coaching institute
मेरठ के मंगलपांडे नगर स्थित फिटजी कोचिंग इंस्टीट्यूट के अचानक बंद होने से छात्रों और उनके अभिभावकों में हड़कंप मच गया है। प्रतिष्ठित माने जाने वाले इस कोचिंग सेंटर में पढ़ रहे 750 से अधिक छात्रों के भविष्य पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
मुख्य समस्याएं
- फीस का डूबना
- अधिकतर अभिभावकों ने चार साल के कोर्स के लिए पूरी फीस जमा कर दी थी।
- कुछ ने फीस भरने के लिए लोन लिया था, जिससे अब आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।
- पढ़ाई पर असर
- अचानक से कोचिंग बंद होने के कारण बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।
- बोर्ड परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है।
- अभिभावकों की चिंता
- कोचिंग इंस्टीट्यूट्स की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- यह स्थिति छात्रों और अभिभावकों दोनों के लिए मानसिक तनाव का कारण बन रही है।
कोचिंग का बढ़ता दबाव
अभिभावकों का मानना है कि मौजूदा शिक्षा प्रणाली और प्रतियोगिता के बढ़ते स्तर के कारण कोचिंग एक मजबूरी बन गई है।
- औसत छात्र बिना कोचिंग के प्रतियोगी परीक्षाओं की कठिन तैयारी करने में सक्षम नहीं हो पाते।
- कोचिंग सेंटर में मिलने वाला अनुशासन, मार्गदर्शन और मॉक टेस्ट जैसी सुविधाएं घर पर पढ़ाई से संभव नहीं होती।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
- शरद (अभिभावक): “नीट और जेईई जैसी परीक्षाओं के लिए एडवांस लेवल की तैयारी जरूरी होती है। औसत बच्चे इसे घर पर खुद से नहीं कर सकते।”
- अरुण (अभिभावक): “कोचिंग का विकल्प ढूंढना आसान नहीं है। जो तैयारी कोचिंग में एक साल में होती है, वह घर पर चार साल में भी नहीं हो सकती।”
जरूरत ठोस कदमों की
फिटजी इंस्टीट्यूट की इस घटना ने शिक्षा क्षेत्र में कोचिंग सेंटरों की जवाबदेही और नियमन की आवश्यकता को उजागर किया है।
- संबंधित अधिकारियों को तुरंत जांच कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अभिभावकों की फीस लौटाई जाए।
- कोचिंग संस्थानों के संचालन के लिए सख्त नियम और निगरानी प्रणाली लागू करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
क्या है समाधान?
- ऑनलाइन विकल्प:
- छात्र अब ऑनलाइन कोचिंग और लर्निंग प्लेटफॉर्म्स का रुख कर सकते हैं।
- स्वयं-अध्ययन:
- घर पर पढ़ाई की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए।
- मॉक टेस्ट और ऑनलाइन सामग्री के जरिए तैयारी की जाए।
- सरकारी हस्तक्षेप:
- सरकार को कोचिंग संस्थानों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी तंत्र तैयार करना चाहिए।
निष्कर्ष:
फिटजी इंस्टीट्यूट का बंद होना न केवल छात्रों के भविष्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में कोचिंग संस्थानों की भूमिका और उनकी जिम्मेदारियों पर भी सवाल खड़े करता है। इस समस्या का समाधान छात्रों और अभिभावकों दोनों को राहत देने के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था को अधिक जवाबदेह बनाने की दिशा में होना चाहिए।