

Related Stories
May 3, 2025
मंगलवार की शाम गंगा पंडाल भाव विभोर हो उठा, जब प्रसिद्ध कवि और रामकथा मर्मज्ञ डॉ. कुमार विश्वास ने अपने व्यंग्यात्मक अंदाज में नई पीढ़ी के लोभ, अंहकार और चकाचौंध पर अपनी बात रखी। उन्होंने अपनी कविता “जरा हल्के गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले…घनश्याम गाड़ी वाले” के माध्यम से समाज में व्याप्त सामाजिक विद्रूपता को उजागर किया। डॉ. विश्वास ने युवाओं को सिखाया कि इच्छाओं पर काबू रखना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि अगर शौक सीमाएं पार कर जाते हैं, तो वे गुनाहों में बदल जाते हैं। उन्होंने कहा कि, मन की चंचलता को काबू में रखने के लिए हर व्यक्ति को अपने अंदर राम को बसाना होगा।
रामकथा ”अपने-अपने राम” के तीसरे दिन, डॉ. कुमार विश्वास ने रावण और अंगद संवाद का जीवंत वर्णन किया। उन्होंने रावण के अहंकार पर व्यंग्य करते हुए कहा, ‘‘रावण ने अंगद से कहा कि मैं लंकापति हूं और राम वनवासी। हमारी तुलना कहां होती है। अंगद ने विनम्रता से कहा… अंकल, आपकी बात बिल्कुल सही है, आप कहां और वह कहां।’’
उनके व्यंग्यात्मक काव्य प्रस्तुति ने उपस्थित दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने भरत के प्रसंगों को भी रेखांकित किया और कहा कि, भरत जैसा भाई पाने के लिए राम बनना पड़ता है।
कार्यक्रम की शुरुआत में भारतीय सेना के संगीतकारों को श्रद्धांजलि दी गई। भारतीय सेना, जबलपुर के ग्रैंडियर्स रेजिमेंटल सेंट्रल बैंड और आर्मी एजुकेशन कॉर्प्स सेंटर एंड ट्रेनिंग के जवानों ने राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत मंगलगान की धुन से वातावरण को सराबोर कर दिया।
इसके बाद शास्त्रीय नृत्य की शोभा भी देखने को मिली, जब रामकृष्ण तालुकदार ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। उन्होंने देवदासी शीर्षक से महादेव और भगवान विष्णु को समर्पित सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में असम गौरव और संगीत ज्योति जैसे पुरस्कार से सम्मानित शास्त्रीय नृत्यांगना ने अपनी अद्वितीय कला का प्रदर्शन किया।
इस भव्य आयोजन में संस्कृति मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार गौरी बसु, कार्यक्रम अधिशासी कमलेश कुमार पाठक, और हजारों दर्शक शामिल हुए। इस अवसर पर संस्कृति और राष्ट्रीय एकता की भावना को बखूबी प्रदर्शित किया गया।
महाकुंभ 2025 न केवल आस्था और भक्ति का पर्व है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सभ्यता, और साहित्य का भी अद्वितीय संगम है।