Mahakumbh 2025- नागा साधु मानते हैं वो ईश्वर से एक वादा करके पृथ्वी पर आए हैं, पढ़ें कुछ रहस्यमयी बातें
Mahakumbh 2025: Naga sadhus believe that they have come to earth after making a promise to God, read some mysterious things
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 के दौरान, लाखों साधु-संतों के बीच नागा संन्यासी हमेशा से रहस्यमयी और चमत्कारी आकर्षण का केंद्र रहे हैं। इन संन्यासियों का जीवन मानवीय सोच और समाज की सामान्य दिनचर्या से पूरी तरह भिन्न होता है। आइए, जानें इनकी दिनचर्या और रहस्यमयी जीवन के कुछ पहलू…
नागा संन्यासी का रहस्यमयी जीवन:
नागा का मतलब होता है नग्न। नागा संन्यासी अपने पूरे जीवन को नग्नता में बिताते हैं और भगवान शिव के दूत के रूप में खुद को मानते हैं।
इनकी दिनचर्या में कोई नियमित जीवन नहीं होता। सुबह-सुबह गंगा नदी के किनारे जाकर गंगा स्नान करना, फिर दिनभर भगवान शिव का भजन करना, तपस्या और ध्यान में लीन रहना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है।
जटाजूट की वेणी इनका स्थायी रूप है। माथे पर भभूत, त्रिपुण्ड और आंखों में सूरमा इनकी पहचान होती है।
हाथों में डमरू, त्रिशूल और कमंडल इनकी साधना का प्रतीक हैं। अक्सर इन्हें देखे जाने वाले साधुों के बीच शिव का प्रतीक लेकर चलते हैं।
अवधूत की धुन में रहकर ये साधक साधना करते हैं और उन्हें अपने शरीर का कोई बंधन नहीं मानते।
रहस्य से भरी दिनचर्या:
नागा संन्यासी महाकुंभ के दौरान अमृत स्नान में हमेशा पहले स्नान करने वाले होते हैं। वे मानते हैं कि उन्होंने ईश्वर से वादा करके इस धरती पर जन्म लिया है और इसी वादे को निभाने के लिए वे हर बार महाकुंभ में आते हैं।
शिव के प्रति असीम श्रद्धा इनकी आत्मा में बसी होती है। इनका जीवन अपने आपको शिव के संदेशवाहक मानकर उसी भक्ति में बीतता है।
तपस्या और ध्यान इनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है, और वे अपने इस उद्देश्य को हर हालत में पूरे करते हैं।
जल-जप में इन्हें असीम साधना करनी होती है, जो उन्हें आत्मबल और पवित्रता प्रदान करता है।
नागा संन्यासियों का आकर्षण:
साधु समाज में नागा संन्यासी विशेष स्थान रखते हैं। उनकी आस्था, उनका रहन-सहन और उनके दर्शन आम श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा देते हैं।
लोग उनकी तरफ जिज्ञासा और श्रद्धा से देखते हैं। उनके जीवन में एक अद्वितीयता और रहस्य होता है, जिसे जानने के लिए हजारों लोग यहां आते हैं।
महाकुंभ में उनका मुख्य स्थान होता है, जहां श्रद्धालु उनकी उपस्थिति और उनके ज्ञान से लाभ उठाने आते हैं।
नागा संन्यासी का जीवन साधारण नहीं है, बल्कि यह जीवन एक अलग स्वरूप में भगवान के प्रति भक्ति, तपस्या और एक दिव्य संदेशवाहक बनने का है। महाकुंभ के इस मौके पर इन्हें देखकर हजारों श्रद्धालु अपनी आस्था को नई ऊंचाई पर पहुंचाते हैं।