
Mahakumbh news-बीटेक की पढ़ाई छोड़कर भरत ने अपनाया वैराग्य, सपना था साॅफ्टवेयर इंजीनियर बनने का
Mahakumbh news- Bharat left B.Tech studies and adopted renunciation, his dream was to become a software engineer.
प्रथम वर्ष के दौरान मन में सवाल आया कि इस जीवन का ध्येय क्या है, क्या करेंगे इंजीनियर बन के। इसका उत्तर जानने के लिए हरे कृष्णा मूवमेंट से जुड़े। इसके बाद जीवन का लक्ष्य परमात्मा के करीब पहुंचना हो गया। वह माता-पिता के इकलौते बेटे है।
मन में उठ रहे सवालों के उत्तर जानने के लिए बीटेक की पढ़ाई छोड़कर महज 18 वर्ष की उम्र से ही बंगलूरू निवासी भरत कुमार ने वैराग्य जीवन अपना लिया। अब वह भरतर्षभा दास महाराज बन गए। स्कूल के समय से ही पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाले भरत का सपना सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना था। मेले में आए भरतर्षभा दास बताते हैं, 1992 में एनआईटी केरल में दाखिला लिया। विज्ञान की वजह से नास्तिक हो गए थे, लेकिन भगवतगीता, पुराण और इस्काॅन के गुरु की जीवनी पढ़ने के बाद उनके जीवन में बदलाव आ गया।
प्रथम वर्ष के दौरान मन में सवाल आया कि इस जीवन का ध्येय क्या है, क्या करेंगे इंजीनियर बन के। इसका उत्तर जानने के लिए हरे कृष्णा मूवमेंट से जुड़े। इसके बाद जीवन का लक्ष्य परमात्मा के करीब पहुंचना हो गया। वह माता-पिता के इकलौते बेटे हैं। उनकी एक बहन भी है। जानकारी होने पर माता-पिता कहा, अगर आपकी यही इच्छा है तो जाओ और फिर कभी बात नहीं की। भरतर्षभा दास कहते हैं, अब बहुत अच्छा लग रहा है। जीवन में शांति मिली है। दस वर्षाें से वृंदावन में रह रहे हैं, और अभी अक्षय पात्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
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