महाकुंभ में दंपती ने दान कर दी अपनी बेटी, राखी से ‘गौरी’ बनी 13 साल की बिटिय क्या है बड़ी वजह
Couple donated their daughter in Mahakumbh, 13 year old daughter became ‘Gauri’ from Rakhi, what is the big reason
महाकुंभ 2025 के दौरान, आगरा निवासी संदीप सिंह और उनकी पत्नी रीमा ने अपनी 13 वर्षीय बेटी राखी को जूना अखाड़े को दान कर दिया। यह एक पारंपरिक और पवित्र कार्य है, जो हिंदू धर्म में कन्या-दान के रूप में जाना जाता है।
विधि और प्रक्रिया
गंगा स्नान के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राखी का नामकरण ‘गौरी’ किया गया।
उसके बाद गौरी को साध्वी के रूप में स्वीकार किया गया और उसे जूना अखाड़े के संतों के मार्गदर्शन में रख लिया गया।
19 जनवरी को शिविर में गौरी का पिंडदान किया जाएगा, जिसमें सभी धार्मिक संस्कार किए जाएंगे।
इस प्रक्रिया के बाद गौरी अब गुरु के परिवार का हिस्सा बन जाएगी, और उसका मूल परिवार उससे अलग हो जाएगा।
महाकुंभ की दान परंपरा
महाकुंभ, कुंभ, और माघ मेले में ‘दान’ की प्राचीन परंपरा है।
इतिहास में वर्णित है कि राजा हरिश्चंद्र भी यहां आकर अपना सब कुछ दान कर जाते थे।
अब महाकुंभ 2025 में भी एक नए अध्याय के रूप में, इस परंपरा का पालन करते हुए इस दंपती ने अपनी बेटी राखी को दान कर दिया।
महत्व और परंपरा
कन्या-दान का यह धार्मिक कार्य विशेष महत्व रखता है, और इसे पुण्य लाभ के रूप में देखा जाता है।
इस प्रकार का दान व्यक्ति की जीवन की एक नई शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है।
यह घटना हिंदू धर्म की गहरी मान्यताओं और पारंपरिक संस्कारों को दर्शाती है, जो समाज में जीवन के नए अध्यायों को शुरू करने के लिए मान्य होती है।