मेनका गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने UP की सुल्तानपुर सीट से सांसद राम भुआल निषाद से मांगा जवाब
On Maneka Gandhi’s petition, Supreme Court sought reply from Ram Bhual Nishad, MP from Sultanpur seat of UP.
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की याचिका पर सपा सांसद राम भुआल निषाद और चुनाव आयोग को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है। यह मामला सुल्तानपुर लोकसभा सीट के 2024 के चुनाव को चुनौती देने से जुड़ा है।
मेनका गांधी के आरोप
मेनका गांधी ने आरोप लगाया है कि राम भुआल निषाद ने नामांकन के समय अपने हलफनामे में 12 आपराधिक मुकदमों का विवरण नहीं दिया था।
यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अनिवार्य नियमों का उल्लंघन है।
हाई कोर्ट का फैसला
इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेनका गांधी की याचिका खारिज कर दी थी।
हाई कोर्ट ने कहा कि याचिका इलेक्शन पिटीशन दाखिल करने की 45 दिनों की वैधानिक समय सीमा खत्म होने के बाद दाखिल की गई थी।
हाई कोर्ट ने इसे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 81 और 86 का उल्लंघन माना।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और सपा सांसद के चुनाव को रद्द करने की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करते हुए राम भुआल निषाद और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।
पृष्ठभूमि
2024 के लोकसभा चुनाव में राम भुआल निषाद ने सुल्तानपुर सीट से भाजपा उम्मीदवार मेनका गांधी को 43,174 वोटों से हराया था।
मेनका गांधी ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता का हवाला देते हुए निर्वाचन को चुनौती दी है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 81 और 86
धारा 81 के तहत, चुनावी याचिका 45 दिनों के भीतर दाखिल करनी होती है।
धारा 86 अदालत को समय सीमा का पालन न करने पर याचिका खारिज करने का अधिकार देती है।
अहम मुद्दे
यदि राम भुआल निषाद ने अपने हलफनामे में आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाई है, तो यह चुनाव प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाता है।
मेनका गांधी की याचिका का समय सीमा से परे दाखिल होना, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है।
यह मामला चुनावी पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रियाओं के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण नजीर बन सकता है।