कैसे जून का बदला योगी आदित्यनाथ ने नवंबर में लिया, जाते-जाते 2024 बहुत कुछ सिखा गया अखिलेश को
How Yogi Adityanath took revenge of June in November, by the time of 2024 Akhilesh was taught a lot
2024 का साल उत्तर प्रदेश और भारतीय राजनीति में कई उथल-पुथल और महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह बना। यह साल भाजपा, सपा और अन्य दलों के लिए कभी जीत, तो कभी निराशा लेकर आया।
भाजपा और योगी आदित्यनाथ की भूमिका
लोकसभा चुनाव 2024:
भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में बड़ा झटका लगा, जहां पार्टी केवल 33 सीटों पर सिमट गई। इसका कारण सपा-कांग्रेस गठबंधन और PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) जैसे नारों का प्रभावी प्रचार माना गया।
नवंबर उपचुनावों में वापसी:
हालांकि, भाजपा ने नवंबर में विधानसभा उपचुनावों में नौ में से सात सीटों पर जीत हासिल की। कुंदरकी और कटेहरी जैसे मुस्लिम और ओबीसी-दलित बहुल क्षेत्रों में जीत ने पार्टी के लिए नई उम्मीदें जगाईं।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की रणनीति
योगी आदित्यनाथ ने अपने तीखे बयानों और ‘बटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारों से राजनीतिक माहौल को गर्म रखा।
अयोध्या में राम मंदिर:
2024 में अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन भाजपा के लिए एक बड़ी उपलब्धि रही।
विवाद और चुनौतियां:
मंदिर-मस्जिद विवाद और पुरातात्विक खोजों के जरिए पार्टी ने हिंदुत्व का एजेंडा मजबूत किया, लेकिन झांसी मेडिकल कॉलेज की आग और हाथरस भगदड़ जैसी घटनाओं ने सरकार की प्रशासनिक दक्षता पर सवाल उठाए।
अखिलेश यादव और सपा की रणनीति
अखिलेश यादव ने 2024 में PDA के जरिए पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को जोड़ने की कोशिश की। इसका असर लोकसभा चुनाव में दिखा, लेकिन नवंबर के उपचुनाव में सपा कमजोर साबित हुई।
विशेष घटनाएं जो चर्चा में रहीं:
हाथरस भगदड़ (जुलाई):
भगदड़ में 121 लोगों की मौत ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए।
झांसी मेडिकल कॉलेज आग (नवंबर):
नवजात वार्ड में आग से 10 शिशुओं की मौत ने सरकार को आलोचनाओं के घेरे में ला दिया।
न्यायमूर्ति शेखर यादव की टिप्पणी:
समान नागरिक संहिता और बहुमत के समर्थन वाली टिप्पणी ने राजनीतिक और न्यायिक हलकों में बहस छेड़ी।
सीख और आगे की राह
2024 का साल भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण सबक साबित हुआ, जहां पार्टी ने महसूस किया कि हिंदुत्व और विकास के मुद्दों के साथ-साथ नए सामाजिक समीकरणों को भी समझने की जरूरत है। दूसरी ओर, सपा और कांग्रेस जैसे दलों ने यह दिखा दिया कि सही गठबंधन और रणनीति से भाजपा को चुनौती दी जा सकती है।