उत्तर प्रदेश के संभल जिले में चंदौसी क्षेत्र में चल रही एक ऐतिहासिक बावड़ी की खुदाई ने नया मोड़ ले लिया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम और नगर पालिका के प्रयासों से खोदाई के दौरान बावड़ी के चार दरवाजों का हिस्सा और सीमेंट के खंभे मिले हैं।

अब तक की प्रगति:
- 14 से अधिक सीढ़ियां मिलीं – बावड़ी की संरचना धीरे-धीरे स्पष्ट हो रही है।
- सड़क की खोदाई – लक्ष्मणगंज इलाके में बावड़ी का सिरा और एक कुएं की तलाश के लिए सड़क से इंटरलॉकिंग टाइल्स हटाई गईं।
- चार दरवाजे और सीमेंट के खंभे – खुदाई में यह नया हिस्सा नजर आया है, जो संरचना की विशालता और ऐतिहासिक महत्व की ओर इशारा करता है।
- मशीनों का इस्तेमाल बंद – संरचना की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, अब मजदूरों के जरिए खुदाई और साफ-सफाई की जा रही है।
संरचना की ऐतिहासिकता:
बावड़ी का डिज़ाइन और निर्माण शैली इसे एक महत्वपूर्ण प्राचीन जल संरचना के रूप में प्रस्तुत करती है। इस क्षेत्र में ऐतिहासिक महत्व की अन्य इमारतें होने की संभावना को देखते हुए ASI की टीम लगातार सर्वेक्षण कर रही है।
चुनौतियां और अतिक्रमण:
- बावड़ी के तीन ओर आसपास के भवन अतिक्रमण की जद में आ सकते हैं।
- संरचना का सिरा तलाशने के लिए सड़क खोदाई से यातायात प्रभावित हो सकता है।
भविष्य की योजनाएं:
- खोदाई और साफ-सफाई जारी रहेगी, जिससे संरचना का पूरा खाका सामने आ सके।
- स्थानीय प्रशासन और एएसआई की टीम इसे संरक्षित करने की योजना पर काम करेगी।
- बावड़ी के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे पर्यटकों के लिए विकसित किया जा सकता है।
संभल के लिए क्या मायने रखती है यह खोज?
संभल और चंदौसी क्षेत्र पहले से ही अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाने जाते हैं। इस बावड़ी की खोज न केवल इतिहास प्रेमियों के लिए एक रोमांचकारी घटना है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक अहम कदम है।
खोज से जुड़ी तस्वीरें और अधिक जानकारी जल्द ही उपलब्ध हो सकती है।