Aligarh news-बनियापाड़ा मंदिरों का मोहल्ला जहां हैं 12 मंदिर, वहां नहीं रुक रहा पलायन का सिलसिला
Aligarh news-बनियापाड़ा मंदिरों का मोहल्ला जहां हैं 12 मंदिर, वहां नहीं रुक रहा पलायन का सिलसिला
अलीगढ़ के बनियापाड़ा मोहल्ले, जिसे “मंदिरों का मोहल्ला” कहा जाता है, में स्थित 12 मंदिर और प्राचीन धार्मिक स्थल इसे सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से विशेष बनाते हैं। यहां गोविंद जी, लक्ष्मण जी, बांकेबिहारी, सत्यनारायणजी, पथवारी माता, शनिदेव, और तीन देवी मंदिर समेत 12 प्रमुख मंदिर हैं। साथ ही पांच प्राचीन कुएं भी हैं, जिनका पानी अब सूख चुका है, लेकिन पूजा-पाठ में इनका महत्व बना हुआ है।
बनियापाड़ा: धार्मिक आस्था और पलायन का संघर्ष
यह मोहल्ला अलीगढ़ का “वृंदावन” कहलाता है, जहां बांके बिहारी मंदिर का इतिहास वृंदावन के मंदिर से जुड़ा हुआ बताया जाता है। यहां के बांके बिहारी मंदिर को संत हरिदास के नाम से जोड़ा जाता है, जिनका जन्म अलीगढ़ में हुआ था।
हालांकि, बनियापाड़ा में बढ़ते असुरक्षा के माहौल के कारण हिंदू परिवारों का पलायन तेजी से हो रहा है। सांप्रदायिक दंगों और बढ़ते तनाव ने इस मोहल्ले में रहने वाले वैश्य और ब्राह्मण परिवारों को अन्य इलाकों में बसने पर मजबूर कर दिया। बताया जाता है कि यहां लगभग 250 परिवार थे, जिनमें से एक दर्जन से अधिक परिवार पलायन कर चुके हैं। वहीं, पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिम परिवारों की संख्या इस मोहल्ले में बढ़ी है।
टनटनपाड़ा: वीरान शिव मंदिर का दुर्भाग्य
बनियापाड़ा के निकट स्थित टनटनपाड़ा में एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो अब वीरान पड़ा है। पहले यहां वैश्य समाज की घनी आबादी थी, लेकिन अब एक भी हिंदू परिवार नहीं बचा है। मंदिर की देखभाल के लिए कोई पुजारी नहीं है, और इसका भवन, जो शीशे के चित्रों से सजा हुआ है, केवल खास अवसरों पर पूजा के लिए उपयोग होता है। मंदिर की चाबी एक हिंदू परिवार के पास रहती है, जो जरूरत पड़ने पर इसे पूजा के लिए उपलब्ध कराता है।
आस्था और सुरक्षा का द्वंद्व
बनियापाड़ा और टनटनपाड़ा जैसे मोहल्लों में सांप्रदायिक तनाव और असुरक्षा के कारण धार्मिक स्थलों की गरिमा और आस्था के संरक्षण पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मंदिरों की उपस्थिति और उनके ऐतिहासिक महत्व के बावजूद यहां के हिंदू परिवारों का पलायन चिंताजनक है। क्षेत्र में सामुदायिक सद्भाव और सुरक्षा का माहौल बनाने की जरूरत है ताकि इन प्राचीन धरोहरों और धार्मिक आस्थाओं को संरक्षित किया जा सके।