मथुरा-वृंदावन क्षेत्र में आठ वर्षों से रुके यमुना रिवर फ्रंट परियोजना का कार्य अब शुरू होने वाला है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में इस पर से स्टे हटा दिया है। सिंचाई विभाग ने कार्यदायी एजेंसी यूपीपीसीएल के साथ वार्ता शुरू कर दी है। इस परियोजना के तहत मथुरा के सात प्रमुख घाटों का सौंदर्यीकरण और विस्तार किया जाएगा।

परियोजना की मुख्य विशेषताएं:
- घाटों का विकास:
आठ चयनित घाटों, जिनमें केशीघाट, जुगल घाट, गोविंद घाट, राधाबाग घाट, वराह घाट, कालिया दमन घाट, चीर घाट और शृंगार वट घाट शामिल हैं, का सौंदर्यीकरण किया जाएगा।
- केशीघाट परियोजना का केंद्र:
केशीघाट का विशेष विस्तार किया जाएगा, जिसमें 125 मीटर चौड़ा रिवर फ्रंट तैयार किया जाएगा।
- श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं:
- घाटों पर कलात्मक लाइटिंग, बैठने के लिए बेंच, और लैंडस्केपिंग।
- वाहनों की पार्किंग के लिए स्थान निर्धारित किया जाएगा।
- धार्मिक आयोजन:
केशीघाट पर नियमित आरती, स्नान और धार्मिक गतिविधियों के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी।
परियोजना का इतिहास:
- 2014: परियोजना की शुरुआत हुई, लेकिन तकनीकी और कानूनी विवादों के चलते काम रुका रहा।
- 2016: वृंदावन के सामाजिक कार्यकर्ता मधुमंगल शुक्ला ने नालों के प्रदूषित जल के रिवर फ्रंट पर प्रभाव को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
- 2023: नालों की टेपिंग और शुद्धिकरण के संबंध में हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करने के बाद स्टे हटा दिया गया।
अधिकारियों का बयान:
- सिंचाई विभाग के एक्सईएन नवीन कुमार: परियोजना कार्य जल्द शुरू होगा, और शेष नालों की टेपिंग पूरी होने के बाद काम और तेज गति से किया जाएगा।
- जल निगम का शपथ पत्र: नालों की टेपिंग का कार्य रिवर फ्रंट निर्माण से पहले पूरा कर लिया जाएगा।
परियोजना का महत्व:
यह परियोजना मथुरा-वृंदावन को एक आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करेगी। श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिलेगा, साथ ही यमुना नदी का संरक्षण और घाटों की ऐतिहासिक महत्ता बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।
यह परियोजना धार्मिक, पर्यावरणीय और पर्यटन की दृष्टि से मथुरा-वृंदावन को एक नई पहचान देने के लिए अहम साबित होगी।