महाकुंभ 2025- जूना अखाड़ा समेत तीन अखाड़ों ने धर्म ध्वजा स्थापित की मेला क्षेत्र में धार्मिक
महाकुंभ 2025- जूना अखाड़ा समेत तीन अखाड़ों ने धर्म ध्वजा स्थापित की मेला क्षेत्र में धार्मिक आयोजन शुरू
प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं। साधु-संतों ने मेला क्षेत्र में अपने शिविर लगाने शुरू कर दिए हैं, और धार्मिक गतिविधियां प्रारंभ हो चुकी हैं। शनिवार को भैरव अष्टमी के अवसर पर तीन प्रमुख अखाड़ों—पंचदशनाम जूना अखाड़ा, पंच अग्नि अखाड़ा, और आवाहन अखाड़ा—ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजाएं स्थापित कीं।
धर्म ध्वजा की स्थापना का महत्व
- धर्म ध्वजा सनातन धर्म का प्रतीक मानी जाती है और अखाड़ों के शिविर के केंद्र में इसे स्थापित किया जाता है।
- जूना अखाड़ा के महंत हरी गिरि के अनुसार, 52 हाथ ऊंची यह ध्वजा 52 शक्तिपीठों का स्वरूप है, और इसके तहत पूजा-पाठ, भोग, और हवन का आयोजन होता है।
- यह ध्वजा भैरव अष्टमी पर विशेष रूप से स्थापित की गई, जो अखाड़ों के ईष्ट देवताओं का आह्वान करने की परंपरा का हिस्सा है।
स्थापना में आधुनिक तकनीक का उपयोग
धर्म ध्वजा को स्थापित करने में हाइड्रा क्रेन का सहारा लिया गया, जिससे इसे कुछ ही घंटों में स्थापित किया जा सका। पारंपरिक तौर पर यह प्रक्रिया कई घंटों में पूरी होती थी।
प्रमुख अखाड़ों के आयोजन
- पंचदशनाम जूना अखाड़ा
- इसे भैरव अखाड़ा भी कहा जाता है।
- भैरव देवता की पूजा और 52 शक्तिपीठों के आह्वान के साथ ध्वजा स्थापित की गई।
- ध्वजा की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई में भी 52 का अंक समाहित है।
- पंच अग्नि अखाड़ा
- गायत्री माता की आराधना के बाद धर्म ध्वजा स्थापित की गई।
- अग्नि अखाड़ा की परंपरा सदियों पुरानी है, और यह सनातन धर्म की रक्षा का प्रतीक है।
- आवाहन अखाड़ा
- ईष्ट देव सिद्ध गणेश की पूजा-अर्चना के साथ भूमि पूजन और धर्म ध्वजा स्थापना की गई।
- नागा संन्यासियों और मठाधीशों के लिए शिविर तैयार किए गए हैं।
महाकुंभ की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा
महाकुंभ में धर्म ध्वजा की स्थापना से ही अखाड़ों के शिविरों में गतिविधियां शुरू होती हैं। साधु-संत यहां नियमित पूजा, आरती, जप-तप, और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
- धर्म ध्वजा के नीचे संतों का जप और हवन जैसे आयोजन जारी रहेंगे।
- यह परंपरा अखाड़ों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को दर्शाती है, जो सदियों से सनातन धर्म की रक्षा में योगदान करती आई है।
महाकुंभ के महत्व पर प्रकाश
महाकुंभ सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा, और आस्था का उत्सव है। मेला क्षेत्र में अखाड़ों की गतिविधियां इसे और भव्य बनाती हैं। धर्म ध्वजाओं की स्थापना इस बात का संकेत है कि प्रयागराज अब संतों और श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तैयार है।