
Haryana news- पति की खुदकुशी के 15 दिन बाद पत्नी ने लगाया फंदा सोशल मीडिया पर हुआ था प्रेम
हरियाणा के रोहतक जिले के कलानौर क्षेत्र के गांव लाहली में पति की आत्महत्या के 15 दिन बाद पत्नी ने भी फंदा लगाकर जान दे दी। यह दुखद घटना प्रेम, विवाह, और पारिवारिक संघर्ष की एक दर्दनाक कहानी को उजागर करती है।
घटना का विवरण:
- सोशल मीडिया पर शुरू हुई प्रेम कहानी:
- प्रवीण कुमार (25) और आशाबीन कुश (24) की मुलाकात इंस्टाग्राम पर हुई थी।
- दोनों में प्रेम हुआ और अप्रैल 2024 में उन्होंने प्रेम विवाह कर लिया।
- विवाह में जातीय और धार्मिक बाधाओं के चलते शुरुआती विरोध हुआ, लेकिन प्रवीण के परिवार ने बाद में आशाबीन को स्वीकार कर लिया और उनका नाम बदलकर निशा रख दिया।
- पति की बीमारी और आत्महत्या:
- प्रवीण को ब्रेन ट्यूमर होने का पता चला, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गया।
- 9 नवंबर 2024 को, उसने फैक्ट्री में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।
- पत्नी का संघर्ष और आत्महत्या:
- पति की मौत के बाद, आशाबीन कुश उर्फ निशा ने भी आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन परिवार ने उसे समझाया।
- पति की मृत्यु के 15 दिन बाद, 23 नवंबर को उसने घर में फंदा लगाकर अपनी जान दे दी।
परिवार और समाज का रवैया:
- प्रवीण के परिवार ने विवाह के बाद निशा को स्वीकार कर लिया था।
- दोनों को अलग मकान देकर रहने का प्रबंध किया गया था।
- निशा की मौत के बाद उसके शव को मायके वालों ने दिल्ली ले जाकर दफना दिया।
पुलिस कार्रवाई:
- पुलिस ने महिला के शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
- अभी तक किसी भी पक्ष की ओर से शिकायत दर्ज नहीं हुई है।
- पुलिस मामले की जांच कर रही है।
सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल:
- मानसिक तनाव और बीमारी:
- ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारी के कारण प्रवीण मानसिक रूप से टूट गया।
- पति की मौत के बाद निशा भी गहरे सदमे और अवसाद से जूझ रही थी।
- प्रेम विवाह और पारिवारिक संघर्ष:
- अंतरधार्मिक और अंतरजातीय विवाह के बाद भी समाज और परिवार का रवैया अक्सर तनाव पैदा करता है।
- यह घटना ऐसे रिश्तों में सामाजिक समर्थन और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
निष्कर्ष:
यह घटना समाज में मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक समर्थन, और पारिवारिक समझ की कमी को उजागर करती है। बीमारी और सामाजिक दबाव के चलते यह जोड़ा अपने संघर्षों से बाहर नहीं निकल पाया।
मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता और समाज में सहानुभूति भरे संवाद की आवश्यकता इस घटना से स्पष्ट होती है।