
आरोग्य मेले में नहीं पहुंचे चिकित्सक इलाज कराए बिना लौटे सैकड़ों मरीज
यह खबर स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही की एक गंभीर स्थिति को दर्शाती है। जन आरोग्य मेले जैसी योजनाओं का उद्देश्य यह है कि लोगों को उनके क्षेत्र में ही प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध हों, लेकिन डॉक्टरों की अनुपस्थिति और फार्मासिस्टों द्वारा केवल दवा देकर मरीजों को भेजना, इस उद्देश्य को विफल कर रहा है।
मुख्य बिंदु:
डॉक्टरों की अनुपस्थिति: तीनों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में रविवार को डॉक्टर मौजूद नहीं थे, जिससे मरीज बिना इलाज के लौट गए।
फार्मासिस्ट द्वारा इलाज: फार्मासिस्टों ने मरीजों को केवल दवाएं दीं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था।
बीमारियों का मौसम: इस समय डेंगू, वायरल और प्रदूषण से संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं, जिससे मरीजों की संख्या भी अधिक है।
निरीक्षण और कार्रवाई: सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी का कहना है कि इस प्रकार की लापरवाही पर निरीक्षण के बाद कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की सख्त आवश्यकता की ओर इशारा करती है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को प्रभावी कदम उठाने होंगे, ताकि जन आरोग्य मेले वास्तव में लोगों के लिए लाभकारी साबित हो सकें।
सुझाव:
डॉक्टरों की जिम्मेदारी तय करना: डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशानिर्देश बनाए जाएं।
सुविधाओं का विस्तार: फार्मासिस्ट और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को उचित प्रशिक्षण देकर उनकी भूमिका को सशक्त बनाना।
जन-जागरूकता अभियान: जनता को स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकारों के प्रति जागरूक करना।
स्वास्थ्य विभाग का सक्रिय निरीक्षण: इन कार्यक्रमों की नियमित रूप से निगरानी और लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई।
यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो यह न केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े करेगा, बल्कि मरीजों की समस्याओं को और बढ़ाएगा।