छठ पूजा की जानकारी कैसे करें पूजा, किस दिन का क्या है कार्यक्रम
छठ पूजा चार दिन का पर्व है, जिसमें व्रती सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा करते हैं।
इस पूजा के दौरान कई नियमों का पालन किया जाता है और यह पूजा मुख्य रूप से नदियों, तालाबों या जलाशयों के किनारे की जाती है।
छठ पूजा का विस्तृत क्रम
1. पहला दिन – नहाय-खाय
इस दिन व्रती पवित्रता का विशेष ध्यान रखते हुए स्नान करते हैं और सात्विक भोजन करते हैं।
व्रती कद्दू-भात या लौकी की सब्जी, चावल, और चने की दाल का सेवन करते हैं।
2. दूसरा दिन – खरना
इस दिन व्रती दिनभर का निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को प्रसाद ग्रहण करते हैं।
शाम को खीर, रोटी और केला का प्रसाद बनाकर सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है। इसके बाद व्रती ही प्रसाद ग्रहण करते हैं।
3. तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य
यह छठ पूजा का मुख्य दिन होता है। व्रती दिनभर निर्जल रहते हैं और सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे सूर्य देवता को पहला अर्घ्य (अर्ध्य) देते हैं।
व्रती बांस की टोकरी में ठेकुआ, नारियल, ईख, फल आदि रखकर घाट पर ले जाते हैं और जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
4. चौथा दिन – उषा अर्घ्य और पारण
इस दिन व्रती सूर्योदय के समय नदी या तालाब में जाकर दूसरा अर्घ्य अर्पित करते हैं।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होता है।
इसके बाद व्रती घर आकर प्रसाद बांटते हैं और पारण करते हैं, यानी उपवास को तोड़ते हैं।
छठ पूजा कहां करें
छठ पूजा के लिए सबसे उपयुक्त स्थान नदी, तालाब, या किसी जलाशय के किनारे होता है,
जहां प्राकृतिक जल स्रोत हो। अगर आसपास कोई जलाशय नहीं है, तो लोग घरों में या किसी बड़ी टंकी या ड्रम में पानी भरकर भी पूजा कर सकते हैं।
लेकिन अधिकतर लोग इसे खुले वातावरण और प्राकृतिक स्थान पर करना पसंद करते हैं, ताकि पूजा का शुद्धता और प्रकृति के साथ तालमेल बना रहे।
छठ पूजा का समय
संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन सूर्यास्त के समय, व्रती शाम को सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
उषा अर्घ्य: चौथे दिन सूर्योदय के समय, प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
विशेष ध्यान देने योग्य बातें
छठ पूजा में शुद्धता और नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
व्रती सभी अनुष्ठानों को श्रद्धा और संकल्प के साथ करते हैं और इस पूजा में परिवार के अन्य लोग भी सहयोग करते हैं।
छठ पूजा विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में लोकप्रिय है।