(www.hapurhulchul.com) आज का दिन भारत के लिए बेहद खास है | इसी दिन भारतीय सशस्त्र बलों की पहली महिला मेजर जनरल मिलीं और इसी दिन भारत को पहली महिला मरीन इंजीनियर भी मिलीं | लेकिन अद्भुत संयोग यह है कि दो महिलाओं ने कामयाबी की कहानी 27 अगस्त को ही लिखी | एक हैं मेजर जनरल गर्टुड एलिस राम और दूसरी देश की पहली मरीन इंजीनियर सोनाली बनर्जी |
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यहां तक पहुंचने के लिए (to reach here)
27 अगस्त 1999 को सोनाली बनर्जी भारत की पहली महिला मरीन इंजीनियर बनी थीं | जिस समय सोनाली मरीन इंजीनियर बनी, तब उनकी उम्र मात्र 22 साल थी | यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी | उन्होंने सामाजिक बाधाओं, वर्जनाओं को खारिज करते हुए कोलकाता के निकट तरातला स्थित मरीन इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमईआरआई) से कोर्स पूरा किया |
फिर 27 अगस्त, 1999 को (Then on August 27, 1999)
1500 कैडेट्स और उनके बीच अकेली महिला कैडेट | बड़ी परेशानी झेली | अकेली महिला स्टूडेंट होने के कारण कॉलेज के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई | कॉलेज प्रशासन के लिए ये महिला कैडेट चुनौती बन गई, आखिरकार हल निकाला गया और तब तमाम विचार-विमर्श के बाद सोनाली को अधिकारियों के क्वार्टर में रहने की जगह दी गई | फिर 27 अगस्त, 1999 को भारत की पहली महिला मरीन इंजीनियर बनकर एमईआरआई से बाहर निकलीं |
इस तरह यह तीसरी दुनिया के देश के लिए (In this way it is for the third world country)
27 अगस्त की उपलब्धि से जुड़ा एक और नाम है मेजर जनरल गर्टुड एलिस राम का | जिनके कांधे पर दो सितारा रैंक टांका गया | 1976 में गर्टुड एलिस राम भारतीय सशस्त्र बलों की पहली मेजर जनरल बनीं थीं | इससे पहले केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस ने ही ऐसा किया था | इस तरह यह तीसरी दुनिया के देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी | उनके निस्वार्थ भाव को अलग -अलग मौकों पर सम्मानित भी किया गया | उन्हें फ्लोरेंस नाइटिंगेल मेडल और परम विशिष्ट सेवा मेडल प्रदान किया गया | अप्रैल 2002 को मसूरी में इनका निधन हो गया |