एक साथ उठीं छह अर्थियां, श्मशान घाट में जगह पड़ गई कम
मेरठ जनपद में गंगानगर क्षेत्र के धनपुर गांव में मातम पसरा हुआ है। हर किसी के मन में सिर्फ एक ही सवाल है कि अगर परिवार कल घर से कहीं नहीं जाता तो शायद उनकी जान बच जाती है। लेकिन कहते हैं कि जो लिखा है उसे कोई मिटा नहीं सकता है। बस ऐसा ही इस परिवार के साथ हुआ है। बताया गया कि जब एक साथ घर से छह अर्थियां उठीं तो हर किसी की आंखें नम हो गईं। वहीं, अंतिम संस्कार के अर्थियां श्मशान घाट पहुंची तो वहां जगह भी कम पड़ गई।
बता दें कि धनपुर गांव के लिए मंगलवार की रात बेहद मनहूस थी। इतनी कि आज तक कभी किसी परिवार पर ऐसा कहर नहीं टूटा। परिवार के छह लोगों की अर्थियां एक साथ उठीं तो हर किसी का कलेजा कांप उठा। महिलाएं बेहोश हो गईं। रुदन मच गया।
इसके बाद छह अर्थियों को गांव के श्मशान घाट में ले जाया गया। वहां जगह तक कम पड़ गई। अलग से टीनशेड लगाना पड़ा। एक साथ सामूहिक चिताएं बनाकर तीनों बच्चों, दोनों महिलाओं और नरेंद्र के शव का अंतिम संस्कार किया गया। इस खौफनाक मंजर को देखकर हर किसी का कलेजा कांप उठा। लोग बस यही कह रहे थे कि ऐसा दिन किसी को न दिखाए।
धनपुर गांव में सोमवार सुबह हादसे की सूचना मिलने के बाद जयपाल यादव के घर में सिसकियां थमने का नाम नहीं ले रहीं थीं। चीत्कार मचा था। परिवार के छह लोगों की मौत के बाद कोई समझ नहीं पा रहा कि पीड़ित परिवार को ढाढ़स बंधाएं तो कैसे? जयपाल के आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे थे।
वे कभी बेटे नरेंद्र का नाम लेते तो कभी बहू अनिता और बबीता का नाम लेकर रोने लगते। तीनों बच्चे दीपांशु, हिमांशु और वंशिका का नाम लेते हुए कई बार बदहवास हो गए। परिचित-रिश्तेदार गमगीन हैं कि अचानक ये क्या हो गया। नरेंद्र का पूरा परिवार उजड़ गया। धर्मेंद्र की पत्नी और बेटी चली गई। रात को सवा नौ बजे शव गांव पहुंचे तो हाहाकार मच गया।
शवों को तीन एंबुलेंस से लाया गया। इस खौफनाक मंजर को देखकर परिवार के लोग बदहवास हो गए। कुछ देर तक देहरी पर रखने के बाद छह अर्थियां एक साथ उठीं तो पूरा गांव उमड़ पड़ा। हर किसी की आंख से आंसू बहने लगे। गांव के श्मशान घाट में एक साथ सामूहिक छह चिताएं बनाई गईं।