
ब्रजघाट, हापुड़, 6 मई 2025 — गंगानगरी ब्रजघाट की अमृत परिसर धर्मशाला में चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह के सातवें दिन सोमवार को व्यास मोहनदास महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की कथा का वर्णन किया, जिससे श्रोता भावविभोर हो उठे।
व्यास जी ने कहा कि “सच्ची मित्रता संसार का सबसे बड़ा धन है, जो केवल स्वार्थ और दिखावे से परे होती है।” उन्होंने गुरुकुल संदीपनी आश्रम में श्रीकृष्ण और ब्राह्मण पुत्र सुदामा की मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे एक राजा और एक निर्धन ब्राह्मण के बीच प्रेम, श्रद्धा और निष्ठा अडिग रही।
उन्होंने बताया कि जब सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर द्वारका श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे, तो भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उन्हें द्वार पर लेने आए और उन्हें अपने सिंहासन पर बैठाकर उनकी सेवा की। अपने मित्र की दीन दशा देखकर स्वयं भगवान आँखों से अश्रु बहाने लगे, जो मित्रता की चरम अभिव्यक्ति है।
श्रद्धालुओं ने कथा के भावपूर्ण प्रसंगों के दौरान “जय श्रीकृष्ण” के जयघोष के साथ माहौल को भक्तिमय बना दिया।