
यह घटना बेहद दर्दनाक और चिंताजनक है, जो मानसिक स्वास्थ्य और उसके इलाज की उपेक्षा के गंभीर परिणामों को उजागर करती है।
मुख्य बिंदु:
आरोपी रामदयाल मानसिक रूप से बीमार था और उसका इलाज चल रहा था।
भैंस को मारने से रोकने पर उसने दादा-दादी और उनके भाई पर कुल्हाड़ी और फावड़े से हमला कर दिया।
वारदात के दौरान ग्रामीण डर के कारण मदद नहीं कर सके।
दो दिन पहले ही दादा-दादी ने उसे पुलिस से छुड़ाया था, जबकि वह पहले भी हिंसक हरकतें कर चुका था।
परिवार में मानसिक बीमारी की तीन पीढ़ियों से समस्या थी, लेकिन सही इलाज के बजाय तंत्र-मंत्र पर विश्वास किया गया।
बड़ी चिंताएं और सवाल:
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी: परिवार ने सही मेडिकल ट्रीटमेंट के बजाय झाड़-फूंक पर भरोसा किया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
पुलिस की निष्क्रियता: पुलिस को पहले ही इस युवक के हिंसक व्यवहार की जानकारी थी, फिर भी कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई।
सामाजिक उदासीनता: गाँववालों ने इस परिवार से दूरी बनाए रखी, जिससे सही समय पर हस्तक्षेप नहीं हो सका।
क्या किया जाना चाहिए?
मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाई जाए और झाड़-फूंक की जगह वैज्ञानिक इलाज को प्राथमिकता दी जाए।
हिंसक मानसिक रोगियों की निगरानी और समय पर चिकित्सकीय उपचार सुनिश्चित हो।
पुलिस को मानसिक स्वास्थ्य मामलों में तेजी से कार्रवाई करने और ऐसे मामलों को मेडिकल एक्सपर्ट्स तक पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
यह घटना न केवल कानून व्यवस्था बल्कि सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।