सेवा भारती का यह प्रयास न केवल बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि उनके मानसिक और आध्यात्मिक विकास में भी सहायक है। सिलाई केंद्र पर हनुमान चालीसा का पाठ कराना एक सकारात्मक पहल है, जो संस्कार और आत्मशक्ति को बढ़ावा देने का कार्य करेगा।
प्रमुख बिंदु:
संस्कृति और आत्मनिर्भरता का संगम – जहां एक ओर बालिकाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, वहीं उनके भीतर धार्मिक और नैतिक मूल्यों को भी विकसित किया जा रहा है।
नियमित आयोजन का संकल्प – प्रत्येक मंगलवार हनुमान चालीसा के पाठ का आयोजन करने और बालिकाओं को इसे कंठस्थ करने का आग्रह किया गया है। यह उनकी आध्यात्मिक चेतना को भी मजबूत करेगा।
सामूहिकता और सहभागिता – सेवा भारती की जिला उपाध्यक्ष शशी गोयल और नगर सहमंत्री नीलम गुप्ता की उपस्थिति इस आयोजन को विशेष बनाती है, जिससे बालिकाओं को प्रेरणा मिलेगी।
इस तरह के आयोजनों से बालिकाओं में आत्मविश्वास और सामाजिक जुड़ाव भी बढ़ेगा। यदि इस पहल में योग, ध्यान और अन्य नैतिक शिक्षा को भी जोड़ा जाए, तो यह एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व निर्माण का मंच बन सकता है।