There has been no board meeting of Hapur Nagar Palika for 6 months
हापुड़ नगर पालिका में बोर्ड बैठकों का समय पर न होना न केवल नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि इसके कारण शहर के विकास कार्यों में भी गंभीर बाधा उत्पन्न हो रही है।
समस्या के मुख्य बिंदु:
बैठकों की अनियमितता: उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 की धारा 86(1) के तहत हर माह कम से कम एक बैठक अनिवार्य है। 18 महीनों में 18 बैठकों के बजाय केवल 4 बैठकें होना नियमों का उल्लंघन है।
विकास कार्य प्रभावित: बैठकें न होने के कारण कई विकास कार्य और महत्वपूर्ण निर्णय लंबित पड़े हैं। इसका सीधा असर शहर की सफाई, जलापूर्ति, सड़क निर्माण, और अन्य बुनियादी सेवाओं पर पड़ता है।
प्रशासनिक जवाबदेही की कमी: बोर्ड बैठकें जनता की समस्याओं पर चर्चा और उनके समाधान के लिए एक प्रमुख मंच होती हैं। इनका न होना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है।
जनता की उम्मीदों पर पानी: नवनिर्वाचित चेयरमैन पुष्पा देवी और सभासदों से जनता को अपेक्षाएं थीं, लेकिन बैठकों की अनियमितता से लोगों का विश्वास कमजोर हो सकता है।
समाधान के लिए सुझाव:
बैठकों का नियमित आयोजन: नगर पालिका को मासिक बैठकें सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि अधिनियम का पालन हो और विकास कार्यों को गति मिल सके।
बैठक का एजेंडा और प्रगति रिपोर्ट: हर बैठक में तय एजेंडे पर चर्चा हो और पिछली बैठकों में किए गए निर्णयों की प्रगति रिपोर्ट पेश की जाए।
सार्वजनिक पारदर्शिता: नगर पालिका को बैठकों का कार्यक्रम और निर्णय सार्वजनिक रूप से साझा करना चाहिए ताकि जनता को जानकारी रहे।
निगरानी समिति का गठन: जिला प्रशासन को नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर निगरानी रखने और बैठकों के नियमित आयोजन के लिए एक निगरानी समिति गठित करनी चाहिए।
जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही: सभासदों और चेयरमैन को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराने के लिए जनता को एकजुट होकर ज्ञापन देना चाहिए।
क्या आप इस मुद्दे पर शिकायत पत्र तैयार करना चाहते हैं या प्रशासन से संवाद के लिए अन्य कदम उठाने पर चर्चा करना चाहेंगे?