यह मामला न्याय व्यवस्था की सख्ती और चेक बाउंस जैसे आर्थिक अपराधों की गंभीरता को दर्शाता है।
मामले का विवरण:
- आरोप और लेन-देन:
- गिरधारीनगर निवासी चेतन प्रकाश अपने मिल से गेहूं खरीदकर आटा और चौकर बनाकर बेचते हैं।
- मैसर्स आकृति फूड्स (शॉप नंबर 77, पालिका बाजार, गाजियाबाद) के मालिक नीरज कुमार ने उनसे बार-बार माल खरीदा।
- कुल बकाया राशि ₹5,94,250 हो गई, जिसका नीरज कुमार ने भुगतान नहीं किया।
- चेक बाउंस का मामला:
- उधारी चुकाने के लिए आरोपी ने ₹4,60,000 का चेक दिया, लेकिन चेक बाउंस हो गया।
- इसके बाद चेतन प्रकाश ने आरोपी से बार-बार धनराशि वापस करने का आग्रह किया, लेकिन पैसा नहीं लौटाया गया।
- अदालत की कार्रवाई और सजा:
- अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनील शेखर ने इस मामले में आरोपी नीरज कुमार को दोषी करार दिया।
- सजा:
- एक वर्ष का कारावास।
- ₹6 लाख का अर्थदंड।
- यह फैसला बुधवार को सुनाया गया।
कानूनी और सामाजिक संदेश:
- चेक बाउंस की गंभीरता:
- चेक बाउंस एक दंडनीय अपराध है, और इसमें न्यायालय द्वारा कठोर सजा दी जा सकती है।
- भारतीय दंड संहिता और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (धारा 138) के तहत इस अपराध पर कड़ी कार्रवाई की जाती है।
- आर्थिक लेन-देन में सतर्कता:
- व्यापारी या ग्राहक को अपने लेन-देन के दौरान सतर्क रहना चाहिए और सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने चाहिए।
- यदि भुगतान चेक के माध्यम से हो, तो पहले से सुनिश्चित करें कि चेक की राशि को बैंक द्वारा कवर किया जा सकता है।
- अर्थदंड का उद्देश्य:
- आरोपी को सजा के साथ-साथ धनराशि की भरपाई भी करनी होती है, ताकि पीड़ित को नुकसान की भरपाई हो सके।
क्या करें यदि ऐसा मामला हो:
- चेक बाउंस होने पर तुरंत कानूनी नोटिस भेजें।
- नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत मामला दर्ज करें।
- लेन-देन के सभी दस्तावेज और सबूत संभालकर रखें।
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