महाकुंभ- मानवता का सबसे बड़ा महोत्सव, स्वामी चिदानंद का संदेश

महाकुंभ- मानवता का सबसे बड़ा महोत्सव, स्वामी चिदानंद का संदेश
Maha Kumbh:- The biggest festival of humanity, a message from Swami Chidananda
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि ने महाकुंभ को केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि मानवता का सबसे बड़ा महोत्सव और आत्ममंथन का प्रतीक बताया है। उनका मानना है कि कुंभ केवल डुबकी और आचमन तक सीमित नहीं, बल्कि यह जीवन के वास्तविक स्रोत तक पहुंचने की यात्रा है।
महाकुंभ का महत्व
स्वामी चिदानंद के अनुसार:
- महाकुंभ सनातन का गौरव है और यह 144 वर्षों के बाद बना दुर्लभ योग है।
- यह समुद्र मंथन का परिणाम है, जहां मंथन के बाद अमृत निकलता है।
- कुंभ आत्ममंथन और संयम की यात्रा है, जो हमारे भीतर छिपे सकारात्मक तत्वों को जागृत करता है।
- यह भारतीय संस्कृति और विश्व शांति का अद्वितीय उदाहरण है।
संगम का संदेश
स्वामी चिदानंद ने प्रयागराज के संगम को केवल नदियों का मिलन नहीं, बल्कि शास्त्र, साहित्य, शांति और भक्ति की भूमि के रूप में परिभाषित किया।
- संगम एकता और भाईचारे का प्रतीक है।
- यहां के वेद, उपनिषद, पुराण भारत की संस्कृति और इतिहास का गूढ़ सार हैं।
- संगम हमें सिखाता है कि विविधता में एकता ही मानवता का आधार है।
विश्व समुदाय के लिए संदेश
- एकता और सहयोग: संगम से समृद्धि, शांति और सौहार्द मिलता है।
- केवल हाथ नहीं, दिल भी मिलाएं। दूसरों की संस्कृति और विचारों का सम्मान करें।
- “कायदे में रहेंगे तो फायदे में रहेंगे” – नियम, नैतिकता और आदर्शों के साथ जीवन जीने का आग्रह।
सनातन और वर्तमान परिदृश्य
- स्वामी जी ने कहा कि संविधान के दायरे में हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए।
- सनातन बोर्ड के संदर्भ में उन्होंने सभी भारतवासियों को समान संतान मानते हुए भेदभाव समाप्त करने की बात कही।
- “घर में शरिया, सड़कों पर शराफत और दिलों में संविधान हो,” यही उनकी अपेक्षा है।
मोदी और योगी के प्रति विचार
- स्वामी चिदानंद ने किसी तुलना से बचते हुए कहा कि दोनों अपने-अपने स्थान पर निष्ठा से कार्य कर रहे हैं।
- उन्होंने कहा कि “मोदी जी, मोदी जी हैं और योगी जी, योगी जी हैं।” दोनों ने अपने कर्तव्यों से सनातन धर्म को मजबूत किया है।
मौनी अमावस्या पर भगदड़
भगदड़ की घटना पर उन्होंने संवेदना व्यक्त की और प्रशासन व सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने संगम आने वाले श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे देश की एकता और संगम की पवित्रता बनाए रखने का संकल्प लें।
निष्कर्ष
स्वामी चिदानंद का दृष्टिकोण केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानवता के मूल्यों, शांति और सहयोग पर आधारित है। उनका संदेश महाकुंभ को धर्म, संस्कृति और मानवता का संगम मानते हुए इसे आत्ममंथन और सामाजिक समरसता का माध्यम बनाना है।