

यह फैसला दिखाता है कि न्याय में देरी हो सकती है, लेकिन अपराधी सजा से बच नहीं सकते। 18 साल पुराने इस मामले में हापुड़ पुलिस ने प्रभावी पैरवी कर आरोपी इंतजार को 3 साल की सजा और 5,000 रुपये के जुर्माने से दंडित कराया।
इस तरह के फैसले अपराधियों के लिए एक सख्त संदेश होते हैं कि कानून की पकड़ से बच पाना मुश्किल है। हालांकि, 18 साल का लंबा इंतजार न्याय प्रक्रिया की धीमी चाल को भी उजागर करता है। प्रशासन और न्यायालय को मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि ऐसे मामलों का निपटारा जल्द से जल्द हो, ताकि पीड़ित को समय पर न्याय मिल सके।
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