Mahakumbh -संगम की रेती पर आला अफसरों का कल्पवास, डीएम जैसे अधिकारी भी कर रहे

Mahakumbh -संगम की रेती पर आला अफसरों का कल्पवास, डीएम जैसे अधिकारी भी कर रहे हैं नियमों का पालन
Mahakumbh – Top officials perform Kalpavas on the sands of Sangam, officials like DM are also following the rules
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 के दौरान अब तक के इतिहास में ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि कई आला अधिकारी और आईएएस, आईपीएस अधिकारी खुद को आध्यात्मिक शुद्धि के लिए कल्पवास कर रहे हैं। संगम की पावन रेती पर धर्म, कर्म, और साधना के प्रति ये अधिकारी गहरे जुड़ाव महसूस कर रहे हैं।
महाकुंभ में अधिकारियों का कल्पवास
अधिकारियों का कल्पवास उनकी आस्था और आध्यात्मिक शक्ति की प्रबलता को दर्शाता है। इसमें डीएम से लेकर मुख्य सचिव स्तर तक के अधिकारी शामिल हैं। इन अधिकारियों ने सत्य, अहिंसा, तपस्या, और साधना के साथ खुद को जोड़ा है।
- आईएएस, आईपीएस अधिकारी कई वर्षों बाद इस अद्वितीय धार्मिक अवसर का हिस्सा बन रहे हैं। इनमें सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल हैं जो अपने परिजनों के साथ संगम की पवित्र रेती पर रहकर जप, तप, ध्यान और पूजा-पाठ कर रहे हैं।
- अधिकारी गंगा स्नान, जप-कीर्तन, संकीर्तन जैसे धार्मिक अनुष्ठानों को बारीकी से अपना रहे हैं।
- कल्पवास के नियम के अनुसार, ये अधिकारी सत्य वचन बोलने, अहिंसा का पालन करने, व्यसनों से बचने, दया भाव अपनाने और ब्रह्म मुहूर्त में उठने का पालन कर रहे हैं।
संगम की रेती पर अधिकारी कैसे बर्त रहे हैं?
- ड्यूटी के दौरान भी कठोर अनुशासन के तहत अधिकारी अपने कर्तव्यों के साथ-साथ कल्पवास कर रहे हैं।
- संगम के अलग-अलग शिविरों में अधिकारी दस से पंद्रह दिन तक आध्यात्मिक साधना में लीन हो रहे हैं।
- हिंदू आचार संहिता के नियमों के अनुसार श्रद्धालुओं और संतों की सेवा, सत्य वचन बोलना, गंगा स्नान करना, और एक समय भोजन करना जैसे नियमों का पालन किया जा रहा है।
हिंदू आचार संहिता की विशेषता:
- इस बार महाकुंभ के दौरान पहली बार हिंदू आचार संहिता भी लोगों तक पहुंचाई जा रही है। यह संहिता धर्म और कर्तव्य के आधार पर तैयार की गई है, जिसमें विवाह और कुरीतियों के खिलाफ नियम भी शामिल हैं।
- एक लाख सनातनियों के बीच हिंदू आचार संहिता का वितरण किया जाएगा, जिसे काशी विद्वत परिषद द्वारा तैयार किया गया है।
- संत सम्मेलन में इस पर मुहर लगाई जाएगी, जिसमें शंकराचार्य, रामानुजाचार्य और अन्य संत शामिल होंगे।
संत सम्मेलन और आचार संहिता:
- मौनी अमावस्या के बाद संत सम्मेलन में इस आचार संहिता का सार्वजनिक रूप से लोकार्पण किया जाएगा।
- 25 जनवरी से शुरू हो रहे संत सम्मेलन में शंकराचार्य, महामंडलेश्वर और संतों द्वारा आचार संहिता पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी।
- हिंदू आचार संहिता के तहत धर्म, पूजा, कर्म, और संस्कारों का संपूर्ण व्याख्या की जाएगी, ताकि हिंदू समाज को नई दिशा मिल सके।
निष्कर्ष:
महाकुंभ 2025 न केवल आध्यात्मिक उन्नति का केंद्र बन रहा है, बल्कि यह देशभर के अधिकारियों और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणा बन गया है। जहां आत्मा की शुद्धि, साधना, और धर्म का पालन हो रहा है। अधिकारी भी इस अद्वितीय अवसर का उपयोग कर धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग की ओर बढ़ रहे हैं।