नागा साधु और अघोरी साधु दोनों ही सनातन धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, लेकिन उनकी साधना, जीवनशैली और नियमों में बहुत अंतर है।




1. नागा साधु:
- उद्देश्य: धर्म और शास्त्रों की रक्षा करना।
- पूजा: भगवान शिव को समर्पित होते हैं और उनकी आराधना करते हैं।
- जीवनशैली:
- नग्न रहते हैं, जो त्याग और सांसारिक मोह-माया से दूर रहने का प्रतीक है।
- अपने शरीर पर भस्म (हवन की राख) लगाते हैं।
- कड़े अनुशासन और तपस्या का पालन करते हैं।
- अखाड़ों से जुड़े होते हैं और धर्म के प्रचार-प्रसार में संलग्न रहते हैं।
- कठोर शारीरिक और मानसिक साधना में प्रशिक्षित होते हैं।
- स्थान: पर्वतीय क्षेत्रों और आश्रमों में साधना करते हैं। महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में विशेष रूप से शामिल होते हैं।
2. अघोरी साधु:
- उद्देश्य: मोक्ष की प्राप्ति और आत्मा की उच्चतम स्थिति को पाना।
- पूजा: भगवान शिव के उग्र रूप (कालभैरव) और शक्ति की साधना करते हैं।
- जीवनशैली:
- श्मशान घाटों में साधना करते हैं, क्योंकि मृत्यु को जीवन का अंतिम सत्य मानते हैं।
- सामान्य सामाजिक नियमों से परे रहते हैं और भय, घृणा जैसी भावनाओं से ऊपर उठने का अभ्यास करते हैं।
- कपाल (मानव खोपड़ी) से भोजन करना और श्मशान भस्म का उपयोग उनकी साधना का हिस्सा है।
- अघोरी साधना के दौरान वे मानव शरीर, मृत्यु और जीवन के गूढ़ रहस्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- स्थान: श्मशान, निर्जन स्थानों और काशी जैसे क्षेत्रों में देखे जाते हैं।
मुख्य अंतर:
विशेषता |
नागा साधु |
अघोरी साधु |
आवास |
आश्रम या अखाड़ों में |
श्मशान या निर्जन स्थानों में |
पूजा का रूप |
शिव के शांत और साधारण स्वरूप की पूजा |
शिव के उग्र रूप और शक्ति की साधना |
भोजन |
सादा भोजन, फल, और तपस्या का भोजन |
तामसिक भोजन और अद्भुत प्रथाएं |
वस्त्र |
नग्न रहते हैं और भस्म लगाते हैं |
कभी-कभी काले वस्त्र धारण करते हैं |
साधना का तरीका |
धर्म की रक्षा और शारीरिक तपस्या |
मृत्यु, मोक्ष और रहस्यमय साधनाएं |
समानताएं:
- दोनों भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं।
- दोनों ही कठोर तपस्या और आत्म-अनुशासन का पालन करते हैं।
- सांसारिक मोह-माया से परे रहते हैं।
महाकुंभ 2025 जैसे धार्मिक आयोजनों में नागा साधु विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं, जबकि अघोरी साधु अपनी रहस्यमयी साधनाओं के कारण प्रसिद्ध हैं।