Mahakumbh 2025-आखिर शरीर पर धुनी क्यों लगाते हैं नागा, चिता की भस्म का विकल्प कैसे होता है तैयार
Mahakumbh 2025-Why do Nagas apply Dhuni on their bodies, how is an alternative to the ashes of the pyre prepared?
नागा साधु अपने शरीर पर भभूत (राख) का लेप करते हैं, जो शिव और शक्ति का प्रतीक है। यह न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जीवन की क्षणभंगुरता का संदेश भी देता है। भभूत को नख से शिख तक, यानी सिर से पैर तक लगाया जाता है। इसे लगाने के पीछे गहरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धारणाएं जुड़ी हुई हैं।
भभूत का आध्यात्मिक महत्व:
जीवन की नश्वरता का प्रतीक:
भभूत हमें यह याद दिलाती है कि हर चीज एक दिन राख हो जाएगी। यह जीवन की अस्थिरता का प्रतीक है।
शिव से जुड़ाव:
नागा साधु केवल उन्हीं चीजों का उपयोग करते हैं जो भगवान शिव से जुड़ी होती हैं। शिव के शृंगार में चिता की भभूत का विशेष स्थान है।
दिगंबर साधु का प्रतीक:
भभूत लगाने का मतलब होता है कि नागा साधु “दिगंबर” हैं, यानी उनके वस्त्र दिशाएं हैं। यह उनके वैराग्य और संसार से अलगाव का प्रतीक है।
चिता की भभूत और उसका विकल्प:
नागा साधु चिता की भभूत को मुक्ति का प्रतीक मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब चिता में लकड़ी और मनुष्य एक साथ जलते हैं, तो वह 84 लाख योनियों से मुक्ति प्रदान करता है।
अगर चिता की राख उपलब्ध नहीं होती, तो इसे नागा साधु विशेष विधि से तैयार करते हैं। यह विधि उनकी आध्यात्मिक परंपराओं और शुद्धता के नियमों पर आधारित होती है।
नागा अखाड़े और उनका महत्व:
नागाओं के 13 अखाड़े हैं, जो धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों में बंटे हुए हैं।
ऐसा माना जाता है कि नागाओं के पास आदिदैविक शक्ति होती है, जो उनके आचार्य और गुरुओं के माध्यम से संचालित होती है।
अखाड़ों की परंपराएं आदिशंकराचार्य से शुरू हुईं, जिन्होंने संन्यास परंपरा को राजा-महाराजाओं के बीच सम्मानित बनाने के लिए छत्र और सिंहासन का उपयोग शुरू किया।
नागा साधुओं का जीवन और वैराग्य:
नागा साधु भगवान शिव के अंश मानते हैं। उनके लिए सांस लेना भी भगवान शिव की ही प्रक्रिया है।
वे अत्यंत बैराग्यपूर्ण जीवन जीते हैं। उनकी हर चीज, भले ही देखने में अमंगल लगे, शिव की शक्ति के कारण मंगलकारी मानी जाती है।
महाकुंभ 2025 और नागा साधुओं का महत्व:
महाकुंभ 2025 में नागा साधु अपने विशिष्ट रूप, परंपराओं और भभूत से सजी धुनी के साथ भगवान शिव की भक्ति का अद्वितीय प्रदर्शन करेंगे। उनका हर कार्य शिव के साथ गहरे आध्यात्मिक संबंध और वैराग्यपूर्ण जीवन को दर्शाता है।