

Related Stories
May 22, 2025
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि पांच वर्ष से कम उम्र की बेटी की कानूनी संरक्षक उसकी मां है, भले ही वह पापा की लाडली क्यों न हो। यह फैसला मेरठ निवासी अमित धामा की अपील पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डी. रमेश की खंडपीठ ने दिया है।
अमित धामा की बेटी की अभिरक्षा को लेकर कोर्ट में अपील की गई थी, जिसे खारिज करते हुए कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पांच साल से छोटे बच्चों की प्राकृतिक संरक्षक उनकी मां होती है। अदालत ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भले ही बच्ची पापा की लाडली हो, लेकिन कानूनी रूप से उसकी जिम्मेदारी मां पर है।
यह आदेश ऐसे वक्त में आया है जब अमित की पत्नी और वह अलग हो चुके थे, और दोनों के बीच लड़ाई-झगड़े के चलते यह विवाद अदालत में पहुंचा था। पति ने बेटी की अभिरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि बच्चे की देखभाल करने वाली सबसे पहली जिम्मेदारी उसकी मां की होती है, भले ही पिता उसे प्यार करते हों।