

सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर और मॉडल हर्षा रिछारिया ने मकर संक्रांति के दिन निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि के अनुयायियों के साथ भगवा कपड़ों में अमृत स्नान किया। उनकी तस्वीरें और वीडियो कुछ ही समय में सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं।
संतों में विवाद
हर्षा रिछारिया के इस अमृत स्नान को लेकर संतों में विवाद शुरू हो गया। कुछ संतों ने इसे आपत्तिजनक बताते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की, वहीं निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि बिना वजह इसे तूल देने की कोशिश की जा रही है।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बयान
इस पूरे मामले पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सनातन धर्म का अपमान बताया और कहा कि धर्मगुरु और संतों को प्रायश्चित्त करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि भगवा वस्त्र पहनकर इस तरह की मार्केटिंग इवेंट हो रही है।
स्वामी आनंद स्वरूप की आपत्ति
शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप ने भी हर्षा रिछारिया के अमृत स्नान को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “एक महामंडलेश्वर ने अपने रथ पर मॉडल को बैठाकर अमृत स्नान करवाना सही नहीं है। उन्हें साध्वी के तौर पर प्रचारित करना गलत है।”
आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि का जवाब
इस विवाद पर आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने कहा कि हर्षा रिछारिया ने केवल गुरु दीक्षा ली है और साध्वी की कोई पदवी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा, “हजारों अनुयायियों ने स्नान किया, उसी तरह हर्षा ने भी स्नान किया। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।”
हर्षा रिछारिया का स्पष्टीकरण
इस विवाद के बीच हर्षा रिछारिया ने स्पष्ट किया कि “मैं कोई साध्वी नहीं हूं। मैंने सिर्फ गुरु दीक्षा ली है। मैं सनातन धर्म के काम को आगे बढ़ाना चाहती हूं और यहां आकर आध्यात्मिकता की दुनिया को समझना चाहती हूं।”
इस पूरे घटनाक्रम ने महाकुंभ में संतों और विभिन्न अनुयायियों के बीच आध्यात्मिक आचार और रीति-रिवाजों को लेकर असमंजस और बहस को जन्म दिया है।