Sambhal news-कल्कि विष्णु मंदिर के सर्वे को दिया गया सबसे अधिक समय; इन कूप और
Sambhal news-कल्कि विष्णु मंदिर के सर्वे को दिया गया सबसे अधिक समय; इन कूप और तीर्थों की हुई जांच
संभल। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने संभल में प्राचीन स्थलों के सर्वेक्षण के दौरान कल्कि विष्णु मंदिर को विशेष प्राथमिकता दी। दो दिन चले इस सर्वे में टीम ने 20 कूप और छह तीर्थों की जांच की।
कल्कि विष्णु मंदिर का विशेष सर्वेक्षण
शनिवार को एएसआई की टीम कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, जहां उन्होंने लगभग 30 मिनट तक हर पहलू का गहन निरीक्षण किया। मंदिर के इतिहास, संरचना और वहां से जुड़े तथ्यों के बारे में जानकारी जुटाई गई। टीम ने मंदिर परिसर के अंदर और आसपास के क्षेत्रों से साक्ष्य एकत्र किए।
सर्वे की पृष्ठभूमि
लखनऊ से आई एएसआई टीम को प्रशासन ने संभल के 19 कूप और पांच तीर्थ स्थलों की सूची भेजकर सर्वेक्षण का अनुरोध किया था।
- शुक्रवार को टीम ने सूचीबद्ध स्थलों का निरीक्षण किया।
- शनिवार को प्रशासन की पहल पर टीम को कल्कि विष्णु मंदिर और कृष्ण कूप का सर्वेक्षण करने के लिए निर्देशित किया गया।
जांच के प्रमुख बिंदु
- कूप (कुओं) का सर्वेक्षण:
- कुल 20 कूपों की स्थिति, उनकी गहराई, और ऐतिहासिक महत्व की जांच की गई।
- तीर्थ स्थल:
- छह प्रमुख तीर्थों का भी बारीकी से निरीक्षण किया गया।
- कल्कि विष्णु मंदिर:
- मंदिर की वास्तुकला, निर्माण सामग्री और ऐतिहासिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए साक्ष्य एकत्र किए गए।
- कृष्ण कूप:
- इस कूप को भी पहली बार सर्वेक्षण में शामिल किया गया और इसके महत्व को समझने के लिए जांच की गई।
प्रशासन की भूमिका
एसडीएम वंदना मिश्रा ने टीम का नेतृत्व करते हुए उन्हें मंदिर और अन्य स्थलों तक पहुंचाया। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की रुकावट न हो।
आगे की प्रक्रिया
सर्वेक्षण के दौरान जुटाए गए सभी साक्ष्यों को एएसआई टीम ने दस्तावेजीकृत किया। इन तथ्यों का विश्लेषण कर संभल के इन प्राचीन स्थलों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
महत्वपूर्ण तथ्य
- कल्कि विष्णु मंदिर को सर्वेक्षण में सबसे अधिक समय दिया गया, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।
- प्रशासन की तत्परता से कृष्ण कूप और अन्य स्थलों को भी शामिल किया गया।
निष्कर्ष:
यह सर्वेक्षण संभल के प्राचीन इतिहास और धरोहर को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल इन स्थलों का महत्व उजागर होगा, बल्कि उनके संरक्षण की दिशा में भी प्रयास तेज होंगे।