Hapur news- कवि सम्मेलन में गूंजी देशभक्ति की आवाज, शहीदों को कविताओं से दी श्रद्धांजलि
Hapur news- कवि सम्मेलन में गूंजी देशभक्ति की आवाज, शहीदों को कविताओं से दी श्रद्धांजलि
हापुड़ के दोयमी रोड स्थित उच्च प्राथमिक कंपोजिट विद्यालय में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान की शहादत के पूर्व दिवस पर आयोजित कवि सम्मेलन और प्रतिभा सम्मान समारोह में देशभक्ति की गूंज सुनाई दी। यह आयोजन अखिल भारतीय साहित्य संघ के तत्वावधान में हुआ, जिसमें साहित्यकारों और कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से शहीदों को नमन किया।
सम्मान और कवि सम्मेलन:
कार्यक्रम की शुरुआत में विद्यालय के प्रधानाचार्य दिलशाद अली ने साहित्यकारों और कवियों को पटका, माला, एवं पुष्पगुच्छ भेंटकर सम्मानित किया।
- कार्यक्रम में डा. अनिल बाजपेई, वैभव शर्मा, डा. आलोक बेजान, डा. सतीश वर्धन, और लक्ष्मण यति जैसे कवियों ने अपनी ओजस्वी कविताओं से समां बांध दिया।
- डा. अनिल बाजपेई ने “बिस्मिल और अशफाक वाला देश है” जैसी पंक्तियों से श्रोताओं को देशभक्ति के रंग में रंग दिया।
- वैभव शर्मा ने अपनी रचना “जब जब भारत की धरती पर आक्रांताओं का तंत्र हुआ” सुनाकर शहीदों के बलिदान को याद किया।
- डा. आलोक बेजान की रचना “ये ज़िन्दगी तो सिर्फ़ पहाड़े में कट गई” को खूब सराहा गया।
- लक्ष्मण यति ने सामाजिक विद्रूपता पर कटाक्ष करते हुए कहा, “बिल्ली हमको सिखा रही हिंसा करना पाप है, क्षण भर बाद लगा पता वह चूहा ही साफ है।”
प्रतिभा सम्मान:
इस अवसर पर विद्यालय के प्रतिभाशाली बच्चों को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
- तन्वी, निशांत, निधि, नीरू, छवि, करण शर्मा, और मानसी को उनकी उत्कृष्ट प्रतिभा के लिए सम्मानित किया गया।
अन्य उपस्थित गणमान्य:
कार्यक्रम में लवलेश, रानी चहल, मीनू वर्मा, और रश्मि मित्तल भी उपस्थित रहीं।
प्रधानाचार्य का आभार:
कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य दिलशाद अली ने सभी साहित्यकारों, कवियों, और उपस्थित जनों का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम बच्चों को प्रेरित करते हैं और उन्हें अपने इतिहास और शहीदों के बलिदान से जोड़ते हैं।
निष्कर्ष:
कवि सम्मेलन ने शहीदों की स्मृति को जीवंत करते हुए देशभक्ति और सामाजिक चेतना का संदेश दिया। इस आयोजन ने साहित्य और कविता के माध्यम से नई पीढ़ी को प्रेरणा देने का महत्वपूर्ण कार्य किया।