
गढ़ गंगा मेले में आने लगे श्रद्वालु और दुकानदार
Devotees and shopkeepers started coming to Garh Ganga fair
गढ़ गंगा मेले में हर साल हजारों लोग दूर-दूर से आते हैं, और इस मेले का हिस्सा बनने वाले दुकानदार भी विशेष पहचान रखते हैं। गढ़मुक्तेश्वर के इस प्रसिद्ध मेले में कई दुकानदार पीढ़ियों से अपनी दुकानें लगा रहे हैं, और मेले में आने वाले लोग भी उनकी दुकानें पहचानते हैं। इन दुकानदारों के उत्पाद और उनकी सेवा की खासियत से लोग उनसे जुड़े रहते हैं।
शहरों और गाँवों से भी लोग आते
गढ़ गंगा मेले में स्थानीय व्यापारियों के साथ-साथ अन्य शहरों और गाँवों से भी लोग आते हैं। इनमें पूजा सामग्री बेचने वाले, मिठाई और खाने-पीने के स्टाल वाले, कपड़े और आभूषण विक्रेता, खिलौने और मिट्टी के बर्तन बनाने वाले, और हस्तशिल्प के व्यापारी शामिल होते हैं। इनकी दुकानें हर साल एक ही स्थान पर लगती हैं, जिससे लोग उन्हें आसानी से पहचान लेते हैं।
पारंपरिक दुकानदार
ऐसे कई पारंपरिक दुकानदार हैं जो दशकों से गढ़ गंगा मेले का हिस्सा बने हुए हैं, और उन्हें स्थानीय लोग भी जानते हैं। जैसे कि मिठाई की दुकान वाले, जो प्रसिद्ध गढ़ पेड़ा, जलेबी, कचौड़ी आदि बेचते हैं, या फिर मिट्टी के खिलौने बनाने वाले कलाकार, जिन्हें लोग सालों से पहचानते हैं।
इन पहचाने हुए दुकानदारों और उनके उत्पादों से मेले की परंपरा और सांस्कृतिक महत्ता बनी रहती है। लोग इन्हें जानने और पहचानने के साथ-साथ इनसे जुड़ी यादों को भी संजोते हैं।
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