(www.hapurhulchul.com) मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से नया सांसद कौन होगा इसका फैसला तो 4 जून को होगा लेकिन पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो कैंट विधानसभा क्षेत्र में पड़े वोट निर्णायक होंगे | 2019 के चुनाव में इस सीट से भाजपा ने बड़ी बढ़त हासिल की थी | यही बढ़त भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र अग्रवाल के लिए निर्णायक साबित हुई थी और 4729 वोटों से जीत दर्ज कर राजेंदर अग्रवाल संसद पहुंचे थे | एक बार फिर यह विधानसभा क्षेत्र निर्णायक भूमिका में होगा |
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इस चुनाव में मेरठ सीट पर (On Meerut seat in this election)
2019 का चुनाव सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा के बीच आमने सामने का था | इस चुनाव में मेरठ सीट पर बसपा ने याकूब कुरैशी को उम्मीदवार बनाया था जबकि भाजपा की ओर से राजेंद्र अग्रवाल तीसरी बार मैदान में थे | याकूब कुरैशी ने पांच में से चार विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई थी |
इन चार विधानसभा क्षेत्रों में (In these four assembly constituencies)
याकूब मेरठ शहर में राजेंद्र अग्रवाले 30396 वोटों से आगे थे, मेरठ दक्षिण में 29713 वोटों से, किठौर में 21817 वोटों से और हापुड़ से 16420 वोटों से आगे थे | इन चार विधानसभा क्षेत्रों में याकूब की राजेंद्र अग्रवाल पर कुल बढ़त 98346 वोटों की थी | लेकिन गिनती जब कैंट क्षेत्र की शुरु हुई तो याकूब यहां राजेंद्र अग्रवाल से काफी पीछे रह गए |
इसमें याकूब को (In this, Jacob)
यहां कुल 2 लाख 48 हजार 603 वोट पड़े थे | इसमें याकूब को 65322 वोट मिले थे जबकि राजेंद्र अग्रवाल को 1 लाख 68 हजार 74 वोट मिले इन वोटो ने राजेंद्र अग्रवाल की जीत की पटकथा लिख दी और याकूब 4729 वोटों से चुनाव हार गए | इस बार समाजवादी पार्टी ने यहां से शहर की पूर्व मेयर सुनीता वर्मा को मैदान में उतारा है | 2017 में सुनीता वर्मा बसपा के टिकट पर मेयर की प्रत्याशी थीं | उन्होंने कैंट क्षेत्र के कंकरखेड़ा और सिविल लाइन जैसे इलाकों में जिसे भाजपा का गढ़ कहा जाता है, वहां बहुत अच्छी तादाद में वोट हासिल किए थे |
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वहीं अगर भाजपा अपने (Whereas if BJP)
अब सुनीता वर्मा सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में हैं | अगर सुनीता वर्मा 2017 के अपने कैंट के प्रदर्शन को दोहरा पाती हैं तो मुकाबला सुनीता के पक्ष में भी जा सकता है | वहीं अगर भाजपा अपने 2019 का प्रदर्शन दोहराती है तो अरुण गोविल के लिए संसद पहुंचने की राह आसान हो जाएगी | 2019 के चुनाव के मुकाबसे इस बार यहां करीब चार हजार वोट कम पड़े हैं | देखना दिलचस्प होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव कौन कितनी बढ़त बनाने में कामयाब होता है | और जीत का सेहरा किसके सर बंधता है |